प्रचार-प्रसार के लिए सड़क किनारे लगे होर्डिंग्स के पोल की कमाई से होता है गिरिडीह शहर के सीसीटीवी कैमरे का मैटेनेंस
50 लाख के 35 कैमरों में पांच कैमरे तीन माह तीन दिन से है खराब पड़े
मनोज कुमार पिंटूः गिरिडीह
करीब 55 लाख के लागत से गिरिडीह के 35 स्थानों की निगरानी सीसीटीवी कैमरे से हो रही है। लेकिन इन कैमरों का फायदा पुलिस विभाग बहुत अधिक ले नहीं पा रहा है। क्योंकि पांच कैमरे खराब पड़े है। तो 30 कैमरे फंक्शनल है। वैसे उप नगरी पचंबा की सुरक्षा को लेकर भी कैमरे लगाएं गए है। लेकिन पूरे पचंबा में कितने कैमरे काम कर रहे है। और कितने खराब पड़े है। इसकी जानकारी फिलहाल किसी के पास नहीं है। पचंबा में लगाएं गए कैमरे से पचंबा थाना में नजर रखा जाता है। तो शहरी क्षेत्र में लगे कैमरे से गिरिडीह हाई स्कूल के समीप जिला नियंत्रण कक्ष से नजर रखा जाता है। स्थिति यह है कि सुरक्षा के लिए लगाएं गए इन कैमरों के मैटेनेंस के लिए सरकार और प्रशासन द्वारा अब तक कोई अतिरिक्त फंड की व्यवस्था नहीं की गई। इसकी बानगी है कि पांच कैमरे तीन माह तीन दिन से खराब पड़े है। लेकिन अब तक इनकी रिपेयरिंग नहीं हो पाई है। इधर इन कैमरे के रखरखाव की एजेंसी ओरेंज मीडिया के प्रभारी मानस कुमार का दावा है कि पचंबा में सभी कैमरे फंक्शन कर रहे है। जबकि शहर के पांच कैमरे खराब पड़े है। इसकी जानकारी उन्हें नहीं है। लेकिन खराब कैमरों को जल्द ठीक करा लिया जाएगा। प्रभारी का यह भी कहना था कि अतिरिक्त फंड नहीं रहने के कारण अक्सर मैटेनेंस में परेशानी होता है। फिलहाल जो व्यवस्था है। उनके अनुसार जिस प्रचार-प्रसार के लिए शहर में सड़क किनारे पोल लगे है। उस पोल में लगने वाले होर्डिंग्स की कमाई ही इन कैमरों के मैटेनेंस का साधन है। जबकि दुसरे शहरों में ऐसे हालात नहीं है। अतिरिक्त फंड की व्यवस्था पहले से की गई है।
पुलिस सूत्रों की मानें तो शहर में जो तीन माह और तीन दिनों से खराब पड़े है। उसमें दो बस पड़ाव में तो एक नगर थाना के सामने, एक नेताजी चाौक के साथ एक सांई आश्रम के समीप का सीसीटीवी खराब पड़ा है। खराब कैमरों को लेकर कंपनी के प्रभारी ने कहा कि अब जानकारी मिली है तो अगले दो दिन के भीतर दुरुस्त कर दिया जाएगा। लेकिन मामला सिर्फ खराब कैमरे तक सीमित नहीं है। बल्कि, विडंबना इस बात को लेकर भी है कि अगर 35 कैमरे लगे है। तो इन कैमरों को 24 घंटे फंक्शनल रखने के लिए पावरबैक भी जरुरी है। जबकि शहर के जिन-जिन हिस्सों में कैमरे है। वहां बिजली के बाद पावरकट होने पर कैमरे भी बंद हो जाते है। लिहाजा, समझा जा सकता है कि शहर की सुरक्षा नगर थाना पुलिस के लिए कितनी बड़ी चुनौती भरा है। इधर कंपनी के प्रभारी मानस कुमार ने कहा कि कैमरे के खराब होना अलग विषय है। इसे अधिक परेशानी इनके तारों के टूटने का है। एक कैमरे का तार टूटने पर काफी पैसे खर्च हो जाते है। अब इन परेशानियों के बीच ही इन कैमरे को चलाया जा रहा है।