गंडक सेे पीड़ित नहीं डालेंगे वोट
बिहार। बिहार में विधानसभा चुनाव की धूम है। प्रत्याशी और मतदाता रोज बदलते चुनावी समीकरणों पर मंथन कर रहे हैं। वहीं प्रत्याशी और दल मतदाताओं को अपने पाले में लाने के लिए लूभावने वायदे कर रहे हैं। वहीं विभिन्न क्षेत्रों के मतदाता पिछली बार किये गए वादों को भी प्रत्याशियों को याद दिलाने में पीछे नहीं रह रहे हैं। ऐसे में चुनावी समीकरण बिगड़ने के आसार बढ़ते नजर आते हैं।
टापू जैसा जीवन बिताने को हैं मजबूर
पिछले वादों की बात करें तो मोतिहारी जिले के गोविंदगंज विधानसभा के पुछरिया के ग्रामीणों का दर्द छलक उठता है। यहां के लोग प्रत्येक वर्ष बाढ़ के दिनों में टापू का जीवन बिताने को विवश हैं। लेकिन इस बार यहां के ग्रामीणों ने प्रत्याशियों को सबक सिखाने की सोची है। ग्रामीणों ने राजनितिक और प्रसाशनिक उदासीनता का जवाब वोट बहिष्कार कर करने की योजना बनाई है। ग्रामीणों ने हाथों में तख्तियां लिए वोट बहिष्कार की घोषणा की है।
आने वाले दिनों में मिट सकता है गांव का अस्तित्व
ग्रामीणों का कहना है कि जब उनका गांव ही अस्तित्व में नहीं रहेगा तो वोट देने का क्या फायदा। कहा कि चुनाव के समय नेता और अधिकारी गंडक पर पायलट चैनल बनाने का वायदा करते हैं। लेकिन चुनाव जीतने के बाद उनकी याद किसी को नहीं आती है। कहा कि गंडक के कटाव के कारण नदी और गांव की दूरी महज 100 मीटर रह गई है। अगर समय रहते इस पर पायलट चैनल नहीं बनाया गया तो आने वाले समय में गांव का नामोनिशान मिट जाएगा।