चुनाव आयोग ने गिरिडीह मेयर का पद किया अनारक्षित, कई दिग्गजों के चुनावी मैदान में उतरने की संभावना
- नेता, पत्रकार, समाजसेवी व कारोबारी भी सोशल मीडिया के माध्यम से टटोल रहे है जनता की नब्ज
रिंकेश कुमार
गिरिडीह। नगर निगम चुनाव की संभावना के साथ ही मेयर पद के साथ-साथ वार्ड पार्षद पद के लिए दावेदारी शुरू हो गई है। झारखंड में होने वाले निकाय चुनाव की घोषणा कभी भी हो सकती है। हालांकि आरक्षित और गैर आरक्षित वार्डाे को लेकर जिला प्रशासन द्वारा निर्वाचन आयोग को अनुमोदन भेज दिया गया है। वहीं गुरुवार को मेयर पद को लेकर अब चुनाव आयोग द्वारा नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है। जिसमें गिरिडीह सीट को आरक्षण के दायरे से बाहर रखा गया है। जिसके बाद करीब डेढ़ दर्जन से अधिक दावेदारों के नाम सामने आ रहे है, जो मेयर पद से चुनावी मैदान में उतर सकते है। हालांकि, खुलकर अब तक कोई सामने नहीं आया है, लेकिन अंदर खाने सभी तैयारी में जूट गए है। यहां तक कि कुछ शुभचिंतकों के द्वारा सोशल मीडिया पर भी चर्चा करने के साथ ही लोग से राय शुमारी कर रहे है।
अंदर खाने से जिनके नाम अब तक सामने निकलकर आ रहे है उनमें सीटिंग डिप्टी मेयर प्रकाश राम का नाम तो है ही उनके अलावे भाजपा ओबीसी मोर्चा के सुनील पासवान कांग्रेस नेता नवीन आनंद चौरसिया, नगर पर्षद के पूर्व उपाध्यक्ष रह चुके विभाकर पांडेय, नगर पर्षद के पूर्व उपाध्यक्ष सह रेडक्रॉस के सचिव राकेश मोदी, समाजसेवी विजय सिंह, पत्रकार अरविन्द अग्रवाल, भाजपा नेता संदीप डंगैच, वार्ड पार्षद सह झामुमो नेता सुमित कुमार, झामुमो नेता कुमार गौरव, माले नेता राजेश सिन्हा, विहिप नेता बिनोद केशरी, कांग्रेस नेता सह संवेदक विकास सिन्हा के अलावे पचम्बा के जमीन कारोबारी मो. इस्तियाक उर्फ लालो, झामुमो नेता ईरशाद अहमद वारिश, शहनवाज अंसारी, झामुमो नेता शहीद अख्तर, गुलाम सरवर नवाब के नाम शामिल है। इसके अलावे डॉ तारकनाथ देव, भाजपा नेत्री वीनिता कुमारी, भाजपा नेता संजीत सिंह पप्पु, रॉकी नवल सहित अन्य कई लोग है जो मेयर के पद पर चुनाव लड़ने का मन बना रहे है। ऐसे चुनाव की घोषणा होने के बाद कई ओर दावेदार सामने आ सकते है।
विदित हो कि चुनाव आयोग के द्वारा गिरिडीह मेयर का सीट अनारक्षित किये जाने के बाद मेयर की राह उतनी भी आसान नहीं होगी। इसकी सबसे बड़ी वजह है कि इस बार झारखंड में निगम व निकाय चुनाव दलगत के आधार पर नही होगा। ऐसे में विभिन्न राजनीतिक दलों से तालुकात रखने वाले कई लोग मेयर पद के लिए दावेदारी कर रहे है। ऐसे में जहां राजनीतिक दलों के समक्ष अपने दल के लोगों के बीच आपसी सामंजस्य बनाने की चुनौती होगी। वहीं वोट बैंक का बिखराव न हो इसका भी ख्याल रखना होगा।