कांग्रेसी नेता ने लगाया जमुआ वन प्रक्षेत्र में हेराफेरी का आरोप
मुख्यमंत्री से मिलकर करेंगे शिकायत
गिरिडीह। जमुआ वन प्रक्षेत्र में वनों की हिफाजत अथवा रख रखाव की कोई कारगर व्यवस्था नहीं है। तेजी से उजड़ते वन इस बात की तस्दीक भी करते हैं। वनरक्षी या तो जमुआ स्थित वन प्रक्षेत्र कार्यालय में जमे रहते हैं या फिर वनों का भृमन कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेते हैं। इस मामले को मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाने के लिये वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सच्चिदानंद सिंह ने मुख्यमंत्री को पत्र प्रेषित किया है। पत्र में सिंह ने कहा है कि सरकार द्वारा वनों की हिफाजत के लिए वन क्षेत्र में ही वनरक्षियों के लिए ठहराव गृह निर्माण के लिए राशि आवंटित किया है। ठहराव गृह का निर्माण जमुआ वन प्रक्षेत्र के जोरासाख, चित्तरडीह, पथरा टांड, खैरा गढ़वा आदि क्षेत्रों में किया जाना था। सिंह का आरोप है कि सभी ठहराव गृह का निर्माण जमुआ स्थित वन प्रक्षेत्र कार्यालय परिसर में ही जैसे- तैसे कराया जा रहा है और आवंटित राशि का बंदरबांट किया जा रहा है। सिंह ने यह भी कहा है कि वन रोपण के पश्चात पौधों की निकाई गुड़ाई के लिए वन विभाग को मोटी रकम मिलती है, बावजूद इसके यह कार्य कागजों पर ही निपटा दिया जाता है। सिंह ने इस मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग मुख्यमंत्री से किया है।