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सेन्ट्रल कोल्ड फिल्ड लिमिटेड ने गिरिडीह सीसीएल को दिया सीएसआर फंड, तो फंड के बंदरबांट की प्लानिंग कर चुका पीओ कार्यालय

समाजिक कार्य के बजाय वर्कशाॅप की मरम्मिती समेत दुसरे कामों में फंड की राशि खर्च करने की योजना

मनोज कुमार पिंटूः गिरिडीहः
ओेपेनकाॅस्ट खदान से होने वाले आय के सहारे सेन्ट्रल कोल्ड फिल्ड लिमिटेड ने गिरिडीह सीसीएल को दुसरी बार सीएसआर फंड में राशि दिया। सीएसआर फंड में कोल्ड फिल्ड लिमिटेड कितना राशि उपलब्ध कराया है। इसे बताने से फिलहाल परियोजना कार्यालय के हर कर्मी इंकार कर रहे है। स्थिति यह है कि सीएसआर फंड की राशि का बंदरबांट कैसे हो, इसका भेद खुलने से भी पीओ कार्यालय के पदाधिकारी और कर्मी पूरी जानकारी देने से कतरा रहे है। जाहिर है कि जब फंड के बंदरबांट की पूरी प्लानिंग भी परियोजना कार्यालय ने तैयार कर लिया है। तो उसकी जानकारी भला सीसीएल कार्यालय के पदाधिकारी और कर्मी क्यों दे? इस दौरान फंड से होने वाले कार्यो की जानकारी जब परियोजना पदाधिकारी से ली गई। तो परियोजना पदाधिकारी विनोद कुमार ने बड़े आसान शब्दों में कह दिया कि गिरिडीह सीसीएल को सीएसआर फंड अप्रूवल ही नहीं। तो दुसरी तरफ पिछले साल कोरोना काल में इसी फंड से पूरे सीसीएल इलाके के साथ आसपास के कई गांवो में अनाज वितरण तो किया गया। साथ ही इसी फंड से सिलाई मशीन भी उपलब्ध कराया गया। इसके बाद भी परियोजना पदाधिकारी की यह बातें खुद में हास्यास्पद है। बहरहाल, ये हालात है परियोजना कार्यालय का।
लेकिन सीसीएल सूत्रों की मानें तो घाटे में रहने के बाद भी सेन्ट्रल कोल्ड फिल्ड लिमिटेड ने गिरिडीह सीसीएल को सोशल रिस्पांसविलीटी फंड का राशि दुसरी बार दिया। जिसे खदान के समीप कर्मियों और मजूदरों के यूरिनल, पेयजल की व्यवस्था के साथ इलाके में स्ट्रीट लाईट, पेयजल के लिए चापानल और लाईब्रेरी के अलावे इलाके के बेरोजगारों को कौशल विकास का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए था। तो इसी फंड से अब पीओ कार्यालय ने अपने वर्कशाॅप के सौंर्दर्यीकरण कराने का प्रस्ताव तैयार किया है। तो दुसरी तरफ पीओ कार्यालय के इंट्री गेट में ही भव्य प्रवेश द्वार तक का निर्माण करा लिया है। जबकि इन कामों के लिए सीसीएल को कई प्रकार के फंड दिए जाते है। इसके बाद भी सीएसआर फंड से गैर समाजिक कार्य कराने की तैयारी में सीसीएल जुटा हुआ है। जिसे पीओ कार्यालय के पदाधिकारी और कर्मियों द्वारा छिपाने का प्रयास भी किया जा रहा है।

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