ढिबरा माफियाओं के लिए सेफ जोन बना तिसरी देवरी प्रखंड का सीमावर्ती क्षेत्र
- जंगली क्षेत्र में किए गए है कई ट्रेक्टर ढिबरा डम्प
- रात के अंधेरे में ट्रक पर लोडकर भेजा जाता है शहर
रंजन कुमार
गिरिडीह। जिले के तिसरी-देवरी प्रखंड के सीमा पर स्थित गोइनाथर और जवारी गांव में ढिबरा के अवैध कारोबार से जुड़े लोग काफी सक्रिय है। तिसरी जंगल क्षेत्र व आस पास के जंगल से ढिबरा को एकत्रित कर इन गांवांे में डंप करने के बाद रात के अंधेरे में ट्रक से चतरो के रास्ते गिरिडीह भेजा जाता है। बुधवार की सुबह तिसरी के जंगल से ढिबरा ले जाते हुए चार ट्रेक्टर को जवारी गांव में पकड़ने की सूचना पर जब मीडिया कर्मी जवारी गांव पहुंचे तो स्थानीय ग्रामीणों ने ढिबरा लदे हुए चार ट्रेक्टर को पकड़ कर छोड़ने की बात स्वीकार की। बताया गया कि ट्रेक्टर से ढिबरा कही डंप करवा कर छोड़ दिया गया। हलांकि इस दौरान घसकारीडीह पंचायत के जवारी गांव में प्रेम हंसदा के घर पर, जीतन हेमब्रॉम ओर जवारी स्कूल के समीप टांड़ में भारी संख्या में ढिबरा का ढेर पाया गया। वहीं गोईनाथर गांव में इतवारी यादव की जमीन पर मुंशी सुरेश के देख रेख में कई स्थानों ढिबरा का ढेर लगा रखा गया है।

मामले को लेकर स्थानीय ग्रामीण सुरेश ने बताया कि अलाउद्दीन का ढिबरा है। यहां जमा करने के बाद ट्रक से बाहर भेजा जाता है। वहीं जवारी गांव में डंप ढिबरा सुरेंद्र नामक व्यक्ति का बताया गया। ग्रामीणों ने बताया की जंगल से ढिबरा ट्रेक्टर से एकत्रित कर रात में ट्रक में लोड कर भेजा जाता है। पिछले माह दर्जनों ट्रक ढिबरा की तस्करी की गई।
जानकारी के अनुसार तिसरी-देवरी सीमा इन दिनों ढिबरा माफियाओं के लिए सेफ जोन बना हुआ है। सीमा पर स्थित चौकी, जवारी, गोइनाथर, तेतरिया के भोले भाले आदिवासी गांव में ढिबरा को डंप कर बेखौफ तस्करी किया जाता है। गौरतलब है कि कुछ दिन पूर्व चार ट्रेक्टर ढिबरा लदा वनविभाग के टीम ने जप्त कर 9 लोगांे पर वन अधिनियम के तहत मामला दर्ज की थी। ढिबरा माफिया और वनविभाग में चूहा बिल्ली का खेल खेला जा रहा है। जिसके कारण ढिबरा तस्करी थम नही रहा है।
इधर मामले को लेकर रेंजर अनिल कुमार ने कहा कि ढिबरा डंप की सूचना उन्हें नही थी। कहा कि ढिबरा की तस्करी के रोकथाम के लिए विभागीय स्तर पर कार्रवाई की जाएगी।