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मधुबन में प्रवास कर रहे मुनिश्री विराट सागर को श्रीफल अर्पित कर श्रद्धालुओं ने मांगा चातुर्मास के आयोजन की अनुमति

गिरिडीहः
जैन समाज के विश्व प्रसिद्ध तीर्थस्थल गिरिडीह के सम्मेदशिखर मधुबन में हाल के दिनों में कई मुनिश्री का प्रवेश हुआ। इनमें जैन समाज के बीच गहरी आस्था का केन्द्र रहे मुनिश्री 108 विशुद्ध सागरजी महाराज जहां मधुबन में ही प्रवास किए हुए है। वहीं इनके सानिध्य में करीब 30 मुनियों का जत्था भी मधुबन के तेरापंथी कोठी में प्रवास किए हुए है। मुनिश्री 108 विशुद्ध सागर जी महाराज के प्रति अटूट आस्था रखने के कारण ही सकल दिगंबर जैन समाज के साथ जैन मुनियांे ने विशुद्ध सागर जी महाराज को श्रीफल नारियल अर्पित कर चाौथे चतुर्थमास के आयोजन की अनुमति मांगी है। क्योंकि कोरोना संक्रमण के कारण हालात बेहद खराब है। ऐसे में मधुबन सकल दिगंबर जैन समाज और मुनियों का जत्था बगैर उनकी अनुमति के चातुमार्स का आयोजन नहीं करना चाहता।

श्रीफल अर्पित करने के दौरान मुनिश्री विशुद्ध सागर जी महाराज को उनके अनुईयायियों ने बताया कि आयोजन को लेकर स्वच्छता को खास ध्यान रखा जाएगा। स्वच्छता समेत सारी तैयारी तभी शुरु होगा, जब मुनिश्री की अनुमति मिलती है। लिहाजा, अब जैन समाज के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन चातुर्मास को लेकर उत्सुकता है। तो दुसरी तरफ पांव पसारते कोरोना का कहर जिले में काफी कम हुआ। लिहाजा, मंद पड़ते कोरोना को लेकर सकल दिगंबर जैन समाज अपने इस धार्मिक आयोजन को लेकर मुनिश्री के अनुमति के इंतजार में है। बताते चले कि चातुर्मास पूरे माह का होता है। इन चार माह में जैन समाज के एक-एक श्रद्धालुओं का ध्यान सिर्फ अनुष्ठानों को लेकर होता है।

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