जलस्त्रोत के रुप में गिरिडीह के बराकर नदी का पहचान किया गया हैः पीएचईडी सचिव
सचिव ने कहा आने वाले दिनों में बराकर नदी में ही कई योजनाओं को क्रियान्वित करने का लक्ष्य है
जल जीवन अभियान को लेकर सचिव और डीसी ने किया अधिकारियों के साथ बैठक
शून्य खर्च पर पीएचईडी विभाग टोला स्कीम को भी चालू करने के प्रयास में हैै
गिरिडीहः
पेयजल एंव स्वच्छता सचिव प्रशांत कुमार शुक्रवार को गिरिडीह पहुंचे। और शहर के परिसदन भवन में जल जीवन अभियान पर डीसी राहुल सिन्हा व गिरिडीह समेत तीन जिलों के अधिकारियों के साथ बैठक किया। बैठक में दुमका के क्षेत्रिए मुख्य अभियंता रामप्रवेश सिंह, मुख्य अभियंता संजय झा समेत तीन जिलों के अधीक्षण अभियंता और गिरिडीह पीएचईडी के कार्यपालक अभियंता अनूप कुमार, मुकेश मंडल के साथ करीब तीन घंटे तक समीक्षा बैठक किया। समीक्षा बैठक के दौरान गिरिडीह के जलस्त्रोत पर खास चर्चा किया गया। जबकि ग्रामीण क्षेत्र में हर घर नल से जल पहुंचाने के योजना पर सचिव को जिले का फीडबैक दिया गया। बैठक में दोनों कार्यपालक अभियंता ने जानकारी दिया कि 2024 के निर्धारित लक्ष्य के अनुरुप अब तक सिर्फ 10 प्रतिशत घरों तक नल पहुंचाया गया है। जबकि आने वाले साल 2024 तक ग्रामीण क्षेत्र के छह लाख से अधिक घरों में नल पहुंचाने का लक्ष्य तय है। इस पर फोकस कर तेजी से काम किया जा रहा है। बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत के दौरान सचिव प्रशांत कुमार ने कहा कि बेहतर जलस्त्रोत के रुप में गिरिडीह के बराकर नदी का पहचान किया गया है। जहां सालों भर पानी की प्रचूर मात्रा उपलब्ध है। अब इसी बराकर नदी के वैसे इलाकों को चिन्हित किया जा रहा है। जहां से बालू का अवैध उठाव नहीं हो रहा है। लिहाजा, भौगोलिक संरचना के अनुसार पीएचईडी के दोनों डिवीजन कई और योजनाओं पर कार्य करेगें। इसके लिए फंड की कोई कमी नहीं है। हालांकि बराकर नदी से बालू के अवैध उठाव से जुड़े सवाल पर सचिव ने कहा कि यह देखना पीएचईडी विभाग का काम नहीं है। बल्कि, जिला प्रशासन को कार्रवाई करना है।
एक सवाल के जवाब में सचिव ने कहा कि शहरी क्षेत्र में अनावश्यक हो रहे डीपबोरिंग को कंट्रोल करने के लिए नगरपालिक का अधिनियम 2011 पहले से लागू है। जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में अनावश्यक डीपबोरिंग को कंट्रोल करने के लिए अब जल संसाधन मंत्रालय द्वारा एक्ट लागू करने की प्रकिया चल रही है। इस एक्ट के लागू होने के बाद व्यावसिक और प्राईवेट बोरिंग की समीक्षा कर बोरिंग की अनुमति दिया जाएगा। भीषण गर्मी के दौरान जिले में पेयजल की समस्या से जुड़े सवाल के जवाब में सचिव ने कहा कि हर डिवीजन को जिले के हर पंचायत में चार से पांच चापालन लगाने के लिए अतिरिक्त फंड दिया जा चुका है। जल्द ही इस योजना पर काम भी शुरु हो जाएगा।
वैसे बातचीत के दौरान सचिव ने कहा कि पीएचईडी टोला स्कीम योजना पर भी तेजी से काम कर रहा है। इस योजना को क्रियान्वित करने का मकसद शून्य खर्च पर ग्रामीण क्षेत्रों में सोर उर्जा के सहारे से पानी पहुंचाना है। यानि, सूरज की रोशनी रही, तो पंप से घरों तक पानी पहुंचेगा। इसके लिए एक टोला में सोर उर्जा चालित पंप लगाकर एक साथ 20 से 25 घरों में नल पहुंचाया जाएगा।