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भाजपा-टीएमसी के खिलाफ कांग्रेस को अधिक सीट देने का लेफ्ट तैयार

कोलकाता। ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस और उसे कड़ी टक्कर दे रही भाजपा को पश्चिम बंगाल में हराने के लिए वाममोर्चा अपने हिस्से की सीटें भी अपनी सहयोगी कांग्रेस को देने के लिए तैयार है। कांग्रेस-वाममोर्चा एक बार फिर गठबंधन के तहत चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस-वाममोर्चा गठबंधन की सीटों का फॉर्मूला अभी तय नहीं है। हालांकि सूत्रों के मुताबिक जरूरत पड़ने पर माकपा अपने हिस्से की सीट भी कांग्रेस के लिए छोड़ने को तैयार है।

सूत्रों के मुताबिक वाममोर्चा सीट बंटवारे के मामले में घटक दलों के बीच आम सहमति बन जाये। ताकि कार्यकर्ता और नेता पूरी ताकत के साथ चुनाव प्रचार में उतर जाएं। इसके लिए वाममोर्चा ने गठबंधन के तहत कांग्रेस के लिए कम से कम 100 सीटें छोड़ने का मन बना लिया है। हालांकि, कांग्रेस की राय जाने बगैर इस मामले में आगे बढ़ना वाम मोर्चा के लिए संभव नहीं है। मालूम हो कि कांग्रेस और वामपंथी दल वर्ष 2016 के विधानसभा चुनावों में मिलकर चुनाव लड़े थे और सीटों के बंटवारे पर उनके बीच सहमति बन गयी थी।

माकपा मुख्यालय के सूत्रों के अनुसार कांग्रेस ने वर्ष 2016 में 92 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, जबकि माकपा 147 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। वाममोर्चा के घटक दल फॉरवर्ड ब्लॉक ने 25 सीटों पर, आरएसपी ने 19 सीटों और माकपा ने 11 सीटों पर चुनाव लड़ा था। लगभग 15-16 सीटें ऐसी थीं, जहां कांग्रेस और वामदलों के बीच दोस्ताना लड़ाई हुई थी। 2016 के चुनाव पर गौर करें तो पायेंगे कि 294 सीटों पर वाम मोर्चा और कांग्रेस के कुल 309 उम्मीदवार थे।

इस बार तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के खिलाफ माकपा लोकतांत्रिक गठबंधन की ओर से एक सीट पर एक उम्मीदवार को मैदान में उतारने के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रही है। पिछले कुछ वर्षों में वाममोर्चा और आंदोलन में अन्य सहयोगियों के साथ 18 दलों का गठबंधन बना है। सूत्रों के अनुसार माकपा चाहती है कि भाकपा (माले) लिबरेशन, पीडीएस, आरजेडी, एनसीपी जैसे दलों को सीटें दी जानी चाहिए। माकपा को पिछली बार के मुकाबले कम सीटों पर चुनाव लड़ने में कोई आपत्ति नहीं है।

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