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कृषि कानून के खिलाफ किसान पंचायत 20 जनवरी को लरियाडीह में

किसान संयुक्त मोर्चा की बैठक में लिया गया निर्णय

कोडरमा। कृषि काला कानून के खिलाफ देश भर में चल रहे किसान आंदोलन की मजबूती के लिए 20 जनवरी को लरियाडीह में आयोजित होगा। किसान पंचायत यह निर्णय किसान संयुक्त मोर्चा की बैठक में लिया गया। बैठक की अध्यक्षता किसान सभा के नेता असीम सरकार ने किया। बैठक में वक्ताओं ने कहा कि केंद्र सरकार के द्वारा लाई गईं कृषि कानून ने देश में तूफान ला दिया है। हर एक नागरिक सोचने को बाध्य है कि क्या देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ कृषि सम्पदाओं को अडानी अम्बानी के हांथों मंे बेचना ही देशभक्ति है। तो लोगों का एक ही जवाब है कृषि या रेल, कोयला, बैंक, बीमा, जहाज और सभी सरकारी कम्पनियों को बचाना ही राष्ट्रवाद है।
कृषि कानूनों में बदलाव के कारण अनाज तेल और आलू, प्याज आवश्यक वस्तु की सूची से बाहर हो जायेगा और प्राइवेट कंपनियों के गोदामों में अकुट माल का भंडारण हो जायेगा। जिससे महगाई बढ़ेगी और गरीब भूखे मरने को विवश होंगे। खेती करने मंे आई लागत आधिक दाम पर सरकार की खरीदने की व्यवस्था पर विराम लग जाएगा। एमएसपी की गारंटी खत्म हो जाएगी। मंडिया और सरकारी स्टोरेज भी खत्म हो जायेगा। वहीं किसान से अनाज की खरीदारी सरकार के द्वारा बंद होने से एफसीआई के गोदाम में अनाज का भंडारण बंद हो जायेगा। जिससे गरीबों के लिए जन वितरण प्रणाली व्यवस्था भी समाप्त हो जाएगा।
विदित हो कि सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कृषि कानूनों को होल्ड करने के साथ-साथ आंदोलनरत किसानों और सरकार के बीच मध्यस्था करने और समस्या का हल निकालने के लिए चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। जिसके चारों सदस्य पूर्व में खुले तौर पर कृषि कानूनों का समर्थन करते देखा गया है। संयुक्त किसान मोर्चा ने भी सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर मानने से इनकार कर दिया है और आंदोलन को तेज करने का आह्वान किया है।
बैठक में सीटू नेता संजय पासवान, जिप सदस्य महादेव राम, एआईकेएस के प्रकाश रजक, सिविल सोसायटी के उदय द्विवेदी, चरणजीत सिंह, युवा नेता प्रकाश अम्बेडकर, दामोदर यादव, ईश्वरी राणा, अकेला यादव आदि शामिल थे।

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