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पारसनाथ पहाड़ में पिछले कई दिनों से लगी भीषण आग को देखते हुए बुलाई गई आपात बैठक

  • आग बुझाने के लिए तीन सौ युवाओं के दल को किया गया तैयार, संसाधनों के साथ भेजा जायेगा पहाड़
  • समाजिक संस्थाओं ने फंड नहीं होने पर जताया अफसोस

गिरिडीह। विश्व प्रसिद्ध गिरिडीह के सम्मेद शिखर और आदिवासी समुदाय के जाहेर थान पूजन स्थल पारसनाथ पहाड़ का करीब दो हजार एकड़ का इलाका आग से झुलस रहा है। जिसे देखते हुए गुरुवार को मधुबन के गेस्ट हाउस में प्रशासनिक अधिकारियों, वाईल्ड लाईफ सैंचूरी और वन विभाग के पदाधिकारियों के साथ जैन और आदिवासी समाजिक संगठनों की बैठक हुई।

गौरतलब है कि पिछले कई दिनों से आग की लपटों ने पूरे पारसनाथ पहाड़ के इलाकों को अपनी चपेट में ले रखा है और इसी आग ने वन विभाग समेत पहाड़ के तराई के इलाकों को चिंता में डाल रखा है। हालांकि वन विभाग के सूत्रों की माने तो दो सौ हेक्टेयर में लगी आग से पहाड़ में रहने वाले वन्य प्राणियों को काफी नुकसान पहुंचा है। आग लगने को लेकर फिलहाल कई चर्चा है। जिसमें पहाड़ के उपर लगे पुतर के पेड़ का हवा में लहराने के कारण उसके रगड़ाने से चिगांरी निकलना। महुआ चुनने के कारण असमाजिक तत्वों द्वारा आग लगा देना और तराई वाले इलाकों में खेती किए जाने के दौरान पत्तों को झड़ने के बाद उसमें आग लगाने की बात सामने आई है।

गुरुवार को मधुबन के गेस्ट हाउस में आनन-फनन में हुई आपात बैठक डुमरी एसडीएम प्रेमलता मुर्मु, एसडीपीओ मनोज कुमार, डुमरी बीडिओ, सीओ के साथ पीरटांड के बीडिओ, सीओ और पीरटांड़ और मधुबन थाना प्रभारी दिलशन बिरुआं और वन विभाग के साथ वाईल्ड लाईफ सैंचूरी के भी पदाधिकारी समेत आदिवासी संगठन सांमता सुशार बेसी के सदस्य भी शामिल हुए। बैठक में चर्चा के बाद फैसला हुआ कि पारसनाथ पहाड़ में लगी आग को पूरी तरह से बुझाने के लिए तीन सौ वैसे युवाआें के दल को शुक्रवार की सुबह सारे संसाधन के साथ भेजा जाएगा। जो मकर संक्रान्ति मेला समिति से जुड़े है और पूरे पारसनाथ पहाड़ समेत तराई के इलाकों से अवगत है। इन युवाओं का सहयोग समाजिक संस्था सांवता सुसार बेसी के युवाओं का मिलेगा।

बैठक में वन विभाग के वन प्रमंडल पदाधिकारी प्रवेश अग्रवाल ने कहा कि तीन सौ युवाओं को आग बुझाने के लिए जाल उपलब्ध कराएगा। वहीं मधुबन के जैन समुदाय के अलग-अलग संगठनों द्वारा भोजन और पानी की व्यवस्था कराने की बात कही गई। जबकि सांवता सुसार बेसी द्वारा युवाओं को कई और दुसरे संसाधन उपलब्ध कराने की बात कही गई। बैठक में वन विभाग के पदाधिकारियों ने जानकारी दिया कि पूरा मधुबन और पारसनाथ का इलाका वाईल्ड लाईफ सैंचूरी क्षेत्र में पड़ता है।

बैठक में सांवता सुसार बेसी के पदाधिकारी और भाजपा नेता सिकंदर हेम्ब्रम ने अफसोस जताते हुए कहा कि आपदा प्रबंधन के पास आग पर काबू पाने के लिए फंड नहीं होना आश्चर्य करने वाली बात है। लिहाजा, केन्द्र और राज्य सरकार को अब फंड के लिए पत्र लिखा जाएगा।

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