गिरिडीह के गांवा में माइका खदान के धंसने से दो की मौत चार जख्मी गांवा रेंजर को जानकारी तक नहीं
पिछले कई महीनों से रह.रह कर हो रहा खदान घंसने की घटना रेंजर की भूमिका भी शक के दायरे में
घटना के बाद रेंजर को वक्त पर मिली सूचनाए लेकिन जानकारी होने से करते रहे इंकार
मृतकों के शव को हटाने के प्रयास थे खदान संचालक सिंकदरए शंभू और विनोद
गिरिडीहः
माइका खदान का धंसना और धंसने से हो रही मौत गिरिडीह के गांवा में लगातार जारी है। और गांवा रेंजर अनिल कुमार समेत गिरिडीह वन प्रमंडल द्वारा हर घटना को लेकर आंख बंद कर लेना। एक सोची.समझी प्लानिंग बना चुका है ना तो माइका के अवैध कारोबार को लेकर गंभीर बनना है और इसमें संलिप्त कारोबारियों के प्रति कोई कार्रवाई। सोमवार को भी ऐसा ही हुआ। जब गांवा थाना क्षेत्र के धर्वेनावाडीह गांव के मुड़गड़वा जंगल के पहाड़ी इलाके में दोपहर के वक्त माइका के अवैध खदान में 50 की संख्या में बच्चों से लेकर महिलाएं और ग्रामीण घुसे थे। और खदान से माइका कोड़ने के दौरान हादसा हुआ। जिसमें दो मजदूर गांवा के रंगामाटी गांव के शुकर हांसदा और सोउना हांसदा की मौके पर मौत हो गई। तो पांच से अधिक जख्मी हो गए। घायलों में ढुनु हांसदाए ननकी देवीए गांवा के चदगो गांव निवासी गुलो राय और इसी गांव के बद्री यादव की बेटी आरती शामिल है। जिन्हें माइका खदान के धंसने से गंभीर चोटें आई है।

वैसे घटना के दौरान हैरान करने वाली बात यह भी सामने आई कि खदान में अधिकांश 14 से 15 साल उम्र के बाल मजदूर ही माइका कोडने घुसे थे। गनीमत रही कि मुड़गड़वा के जिस माइका खदान में भू.धंसान हुआ। उसकी आवाज सुनकर कई लोग बाहर निकल गए। नहीं तो खदान में दबने से कई और मजदूरों की मौत हो सकती थी। जानकारी के अनुसार मुड़गड़वा जंगल का यह खदान इसी आसपास के इलाके के किसी अवैध माइका कारोबारी का बताया जा रहा है। जिसमें रंगामाटी समेत कुछ और गांव के मजदूर शामिल है। घटना के बाद मामले को दबाने का प्रयास करते हुए मृतकों के शव को घटनास्थल से हटाने के प्रयास में अवैध खदान के संचालक जुट गए। लेकिन स्थानीय ग्रामीणों ने दोनों के शव को वहां से उठाने पर रोक दिया।
लिहाजाए खदान संचालक वहां से फरार होने सफल रहा। लेकिन घटना के दौरान ही मुड़गड़वा जंगल का यह अवघ्ैा खदान के संचालकों में शंभू यादवए सिंकदर यादव और विनोद यादव का नाम सामने आया। जबकि खदान के धंसने की जानकारी भी वक्त पर गांवा रेंजर अनिल कुमार को अवैध खदान के संचालकों ने दे दिया था। इसके बाद भी रेंजर अनिल कुमार ने खदान धंसने की घटना से इंकार करते रहे। उल्टा जितने मीडिया कर्मियों ने रेंजर से जानकारी ली। तो सबों को रेंजर ने एक रटा.रटाया स्क्रिपट जानकारी नहीं होने का ही देते रहे।

जबकि गांवा थाना प्रभारी पिंकू प्रसाद भी घटना की जानकारी रेंजर को पहले दे चुके थे। मामले को दबाने और मृतकों के शव को वहां से हटाने को लेकर रेंजर अनिल कुमार की भूमिका संदेह के दायरे में दिख रहा है। वैसे गांवा में पिछले कई महीनों के भीतर हो चुके माइका धंसान की घटना के बाद भी रेंजर अनिल कुमार के द्वारा अवैध खदान और उसके संचालकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होनाए हैरान करने वाला है। तो इसे भी बड़ी हैरानी वाली बात संदेह के दायरे में घिरे रेंजर का गांवा में बनने रहना है।

जानकारी के अनुसार धर्वेनावाडीह गांव के मुड़गड़वा जंगल के माइका खदान में सोमवार दोपहर रंगामाटीए चदगो समेत कुछ और गांव के ग्रामीणों के साथ कुछ महिलाएं और कई बच्चे माइका कोडने घुसे थे। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार सभी खदान के काफी भीतर घुस गए थे। इसी दौरान खदान का उपरी हिस्सा भराभरा धंसता गया। इसी भू.धंसान की घटना में शुकर हांसदा और सोउना हांसदा की मौत हुई। जबकि पांच गंभीर रुप से जख्मी हो गए। आवाज सुनकर कई मजदूर किसी तरह भीतर खदान से बाहर निकलने में सफल रहे। नहीं तो मृतकों की संख्या और अधिक हो सकता था।