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भूख से मौत मामले में हाईकोर्ट ने झारखंड सरकार को घेरा

  • कहा झारखंड में आज भी लोग लोग पत्ता खाने को है मजबूर
  • अगली सुनवाई में सामाजिक कल्याण विभाग के सचिव को पेश होने का दिया आदेश
  • दो साल पहले बोकारो में तीन लोगों की भूख से हुई मौत मामले को संज्ञान में लिया था हाईकोर्ट

रांची। झारखंड में हो रही भूख से मौत के मामले में झारखंड सरकार को एक बार फिर हाईकोर्ट ने आड़े हाथों लिया है। झारखंड हाईकोर्ट ने गुरुवार को एक भूख से मौत मामले की सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा कि झारखंड में आज भी लोगों को जंगली की तरह ट्रीट किया जाता है। बिरहोर समाज के लोग पत्ता खाने को मजबूर हैं। ऐसे लोगों को गैस चूल्हा, शौचालय और स्वच्छ पानी तक की भी कोई सुविधा नहीं मिल पा रही है। जबकि उनकी ही जंगल से हम खनिज पदार्थ निकालते हैं। लेकिन उनका विकास नहीं हो पा रहा है।


गौरतलब है कि बोकारो के कसमार में एक ही परिवार के तीन लोगों की भूख से मौत की खबर मीडिया में आने के बाद झारखंड हाई कोर्ट ने मामले में स्वतः संज्ञान लिया था। इसमें झालसा से रिपोर्ट पेश करने और सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। सरकार ने कहा था कि भूख से किसी की मौत नहीं हुई थी। जबकि झालसा ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी लोगों का जीवन दयनीय है।


गुरुवार को चीफ जस्टिस डॉ रविरंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की कोर्ट ने कहा कि गांव में विकास नहीं पहुंचना ही नक्सलवाद को बढ़ावा देता है। आज भी कई ऐसे गांव हैं जहां पर लोगों को राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। राशन के लिए जहां उन्हें आठ किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। वहीं क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है।कहा कि केंद्र और राज्य सरकार की योजनाएं केवल कागजों तक ही सिमट कर रह गई हैं। इस दौरान अदालत ने सामाजिक कल्याण विभाग के सचिव को दो सप्ताह बाद होने वाली अगली सुनवाई के दौरान पेश होने का आदेश दिया है।

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