आक्सीजन सिलेंडर वक्त पर नहीं मिलने से गिरिडीह में शहर के राजेन्द्र नगर की महिला की मौत, नगर निगम के हेड क्र्लक की थी पत्नी
स्थानीय प्रशासन के सारे दावे हुए खोखले साबित, कमी का असर जिले में दिखना हुआ शुरु
पत्नी को बचाने के लिए हेड क्लर्क आक्सीजन सिलेंडर के लिए लगाता रहा गुहार
कांग्रेस नेता ने हालात देखकर कराया उपलब्ध
गिरिडीहः
कोरोना के बढ़ते खतरे को देखते हुए आक्सीजन के व्यावयसिक इस्तेमाल और कालाबाजारी पर गिरिडीह प्रशासन सख्ती से निगरानी रखे हुए था। लेकिन प्रशासन के सारे दावे की पोल रविवार का खुल गई। जब एक शहर के राजेन्द्र नगर की एक महिला की मौत आक्सीजन सिलेंडर वक्त पर नहीं मिलने से धनबाद ले जाने के क्रम में हो गया। वैसे जिले में आक्सीजन सिलेंडर की कमी होने से मौत का यह पहला मामला सामने आया है। जबकि मामला कोविद की बीमारी से भी जुड़ा हुआ नहीं था। इसके बाद भी आॅक्सीजन सिलेंडर वक्त पर नहीं मिलने से क्लर्क की पत्नी का मौत हो गया। जानकारी के अनुसार महिला गिरिडीह नगर निगम में हेड क्र्लक के पद पर कार्यरत प्रदीप सिन्हा की पत्नी थी। और शहर के राजेन्द्र नगर की रहने वाली थी।
जानकारी के अनुसार शुक्रवार से उन्हें सांस लेने में परेशानी हो रही थी। इस दौरान परिजनों ने उन्हें शहर के नवजीवन नर्सिंग होम में भर्ती कराया था। महिला की हालात देखते हुए उन्हें बेहतर इलाज के लिए धनबाद रेफर किया गया। रेफर किए जाने के बाद जब एबूलेंस से धनबाद ले जाने की तैयारी होने लगा। तो आॅक्सीजन सिलेंडर कहीं नहीं मिला। सिलेंडर कहीं नहीं मिलते देख पति प्रदीप सिन्हा ने सदर अस्पताल से सहयोग मांगा। लेकिन सदर अस्पताल ने आॅक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध कराने से हाथ खड़ा कर दिया। इसके बाद पत्नी को लेकर निगम के क्लर्क नवजीवन हो गए। जहां उन्हें इलाज के लिए भर्ती किया गया। लेकिन हालात बिगड़ते देख क्र्लक की पत्नी को बेहतर इलाज के लिए धनबाद रेफर कर दिया गया। इस दौरान एबूलेंस में उन्हें ले जाने के लिए आॅक्सीजन सिलेंडर की जब जरुरत महसूस हुआ। तो सदर अस्पताल ने आॅक्सीजन सिलेंडर होने से इंकार कर दिया। इस बीच जानकारी मिलने के बाद कांग्रेस नेता सतीश केडिया ने अपने स्तर से हेड क्र्लक प्रदीप सिन्हा को उनकी पत्नी को भिजवाने के लिए आॅक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध कराया। लेकिन तब तक काफी देर हो चुका था। क्योंकि सिलेंडर मिलते ही जब हेड क्र्लक अपनी पत्नी को लेकर धनबाद ले जाने लगे। तो बीच रास्ते में ही उनकी मौत हो गई। इधर मामले में अस्पताल उपाधीक्षक ने भी माना कि कुछ किल्लत आॅक्सीजन सिलेंडर की जरुर हो रही है। क्योंकि अस्पताल के भर्ती कोविद मरीजों को सही से आॅक्सीजन सिलंेडर उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। तो रेफर मरीजों को कहां से उपलब्ध हो पाएगा। इस दौरान ने उद्योग महाप्रबंधक कुमार राजीव एक्का ने कहा कि आॅक्सीजन सिलेंडर के किल्लत की जानकारी उन्हें नहीं है। अब सोमवार को ही पूरा मामला देखा जाएगा।
बहरहाल, आॅक्सीजन सिलेंडर का किल्लत नहीं हो।
इसके लिए प्रशासनिक स्तर पर बेहद मजबूत माॅनिटरिंग का दावा किया गया। लेकिन हेड क्र्लक की पत्नी के बाद सारे दावे फिलहाल झूठे ही साबित हो रहे है। क्योंकि प्रशासन और स्वास्थ विभाग अब तक दावे करता रहा कि जिले में पर्याप्त मात्रा में आॅक्सीजन सिलेंडर मौजूद है। दावे यहां तक हो रहे है कि हर रोज गिरिडीह के प्लांट में ढाई हजार लीटर आॅक्सीजन का उत्पादन हो रहा है। लेकिन हकीकत इसके ठीक उल्ट है। शहर में आॅक्सीजन सिलेंडर की भारी किल्लत होना शुरु हो चुका है। आलम यह है कि लोगों को इधर-उधर से आॅक्सीजन सिलेंडर का जुगाड़ करना पड़ रहा है। बरवाडीह के ही एक मिन्हाज असंारी वैसे कई जरुरतमंदो को आॅक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध करा रहे है। तो आॅक्सीजन सिलेंडर फिलहाल उपलब्ध कराने का प्रयास मारवाड़ी युवा मंच के द्वारा भी किए जाने की बात कही जा रही है। इधर जिले में आॅक्सीजन की आपूर्ति करने वाले मेसर्स सांई आॅक्सीजन के राजेश गुप्ता ने कहा कि आॅक्सीजन की कोई कमी नहीं है। बल्कि, किल्लत सिलेंडर की हो रही है। यही दावा दुसरे सप्लाॅईर राहुल केडिया का भी है। राहुल केडिया ने भी कहा कि सिर्फ 10 लीटर वाले सिलेंडर किल्लत हो रही है।