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कोरोना ने गिरिडीह के प्रमुख छठ घाट में प्रशासनिक सख्ती को किया मजबूर, सिर्फ व्रतियों को ही मिली अध्र्य देने की अनुमति

बैरोनक रहा चैती छठ पूजा, भीड़ लगाकर पूजा करने पर था प्रशासनिक पहरा

मानसरोवर तालाब में भी रहा अध्र्य देने और पूजा की व्यवस्था

गिरिडीहः
ना छठ पूजा के पांरपरिक गीत और ना ही छठ घाट में श्रद्धालुओं का रैला। लोकआस्था और निर्जला उपवास के इस महापर्व चैती छठ पूजा पर रविवार को कोरोना के कहर का साया रहा। छठ घाट पर ना तो वो रौनक दिखी। और ना ही श्रद्धालुओं की भीड़। तस्वीर गिरिडीह शहर के प्रमुख छठ घाट अरगाघाट का है। जहां नगर थाना प्रभारी रामनारायण चाौधरी पुलिस जवानों के साथ कोरोना के कारण कुछ सख्ती बरते हुए थे। जिसे संक्रमण का खतरा अधिक नहीं बढ़े। लिहाजा, छठ घाट पर सिर्फ डाला लेकर जा रहे श्रद्धालुओं और व्रतियों को जाने की अनुमति थी। बच्चों और युवक-युवतियों के साथ भीड़ में जा रही महिलाओं को पहले ही रोका जा रहा था। हालांकि कुछ महिलाएं अपील कर छठ घाट तक जाने का प्रयास भी की। लेकिन सफलता नहीं मिला। क्योंकि महिलाओं को महिला पुलिस कर्मी भी रोक रही थी। वैसे थाना प्रभारी ने श्रद्धालुओं से अपील करते हुए कहा कि जब तक छठ घाट में पूजा कर रहे व्रति बाहर नहीं निकलते है। तब तक और लोगों को जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती।


बहरहाल, जानलेवा और घातक बनती कोरोना की दुसरी लहर का ही यह प्रभाव था कि चैती छठ पूजा का पहला अध्र्य बेरौनक रहा। इधर चैती छठ के मौके पर व्रतियों ने सीमित लोगों के बीच दूध और जल से अस्ताचलगामी भगवा सूर्य और छठ मईयां का ध्यान कर अध्र्य प्रदान करते नजर आएं। इस दौरान फल से भरे सूप और डाला लेकर व्रतियों ने छठ घाट में चारों तरफ परिक्रमा किया। और अस्ताचलगामी सूर्य को अध्र्य दिया। इसे पहले व्रति अपने घरों से दंड देते हुए निकले। और पूरे रास्ते दंड देते हुए छठ घाट तक पहुंचे।

इधर कोरोना के बढ़ते खतरे के बीच ही चैती छठ का पहला अध्र्य देने के लिए शहर बरवाडीह पुलिस लाईन स्थित मानसरोवर तालाब में भी काफी बेहतर व्यवस्था किया गया था। मानसरोवर तालाब समिति के अध्यक्ष बाबुल गुप्ता के नेत्तृव में व्रतियों के पूजा-अर्चना के लिए सारी तैयारी की गई थी। सीमित श्रद्धालुओं के बीच व्रतियों दूध और जल से अस्ताचलगामी भगवान सूर्य और छठ मईया को अध्र्य प्रदान किया। इस दौरान कई व्रतियों ने अपने घर के छत्त पर ही अध्र्य देने की व्यवस्था कर रखाा था। और पूरे विधी-विधान के साथ छत्त पर भी व्रतियों ने पूजा-अर्चना करने के साथ अध्र्य देते दिखें।

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