किसान आंदोलन के समर्थन में 14 को वाम व विपक्षी दलों की सभा
- 11 से 13 दिसंबर तक नुक्कड़ सभा कर करेंगे प्रचार अभियान
- किसानों को भ्रम जाल में फंसा रही है मोदी सरकार
कोडरमा। किसान विरोधी काला कानून के खिलाफ आंदोलनरत किसानों के आह्वान पर संघर्ष की अगली कड़ी में जिलों में विरोध प्रदर्शन सभा के तहत 14 दिसम्बर को झुमरी तिलैया में जनसभा करने का निर्णय लिया गया। इससे पूर्व 11-13 दिसम्बर तक विभिन्न जगहों पर नुक्कड़ सभा कर प्रचार अभियान चलाने का निर्णय लिया गया। यह फैसला वाम व विपक्षी दलों की बैठक मंे लिया गया। बैठक उदय द्विवेदी के आवास पर किसान सभा के नेता असीम सरकार की अध्यक्षता में हुई।
बैठक में विभिन्न दल के नेताओं ने कहा कि मोदी सरकार किसानों को भ्रमजाल में रख रही है। जब किसानों को कानून पसंद नहीं है, तो इसे सीधे वापस लेना चाहिए। नेताओं ने कहा देश के लाखों किसान पिछले 10 दिनों से दिल्ली के बाहरी सीमा पर आंदोलनरत है। चूंकी इन किसानों को केंद्र सरकार दिल्ली पहुंचने पर रोक लगा दिया है। वक्ताओं ने कहा कि सरकार अब किसानों के उपज के साथ-साथ उनके जमीन को भी कॉर्पोरेट और बड़े पूंजीपतियों के हवाले कराना चाहती है। किसानों के फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी साजिश के तहत छीनना चाहती है जो गलत है। इसीलिए तीनों काला कृषि कानून और बिजली कानून 2020 अविलंब वापस लिया जाए।
बैठक में थे उपस्थित
बैठक मे सीपीएम राज्य सचिव मंडल सदस्य संजय पासवान, सिविल सोसाइटी के संयोजक उदय द्विवेदी, चरणजीत सिंह, कांग्रेस के जिलाध्यक्ष मनोज सहाय पिंकु, सईद नसीम, तुलसी मोदी, आम आदमी पार्टी के दामोदर यादव, निर्माण मजदूर यूनियन के प्रेम प्रकाश माले के बिनोद पाण्डेय, राजेंद्र प्रसाद, भगीरथ सिंह, सिविल सोसाइटी के अशोक कुमार यादव, संजय कुमार वर्मा आदि उपस्थित थे।