विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के मौके पर कार्यशाला का हुआ आयोजन
- बालश्रम पर रोक लगाने पर दिया गया जोर
गिरिडीह। विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के मौके पर जमुआ प्रखंड के कारोडीह स्थित कस्तुरबा गाँधी बालिका विद्यालय में जिला विधिक सेवाये प्राधिकार व राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं अपराध नियंत्रण ब्यूरो के तत्वावधान में कार्यशाला का आयोजन किया गया। वार्डन शैलबाला कुमारी की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में एनएचआरसीसीबी जिलाध्यक्ष योगेश कुमार पाण्डेय ने छात्राओं को बाल श्रम अधिनियम की जानकारी देते हुए कहा कि भारत संविधान के अनुसार किसी उद्योग, कारखाने में शारीरिक व मानसिक रुप से काम करने की उम्र 5-14 वर्ष की होने पर बालश्रम कहा जाता है। माता-पिता का असंतोष, लालच, अशिक्षित होना बाल श्रम जैसे अपराध को बढ़ावा देता है। यूनीसेफ के अनुसार बच्चों का विनियोग इसलिए किया जाता है, क्योंकि उनका आसानी से शोषण किया जा सकता है।
पीएलवी सुबोध कुमार साव ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए कहा कि बालश्रम पर लगाम लगाने के लिए कई संवैधानिक प्रावधान बनाये गए है। वहीं पीएलवी हीरा देवी ने कहा कि नए कानून में बच्चों के लिये रोज़गार की आयु को ‘अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम’ , 2009 के तहत अनिवार्य शिक्षा की उम्र से जोड़ा गया है। पीएलवी सहदेव साव, मुकेश कुमार वर्मा ने कहा कि बाल श्रमिकों की समस्या बहुत पुरानी है। इसके पीछे गरीबी के साथ ही माँ बाप का लोभ और पारिवारिक परिस्थितियां कारण होती है। बाल श्रम गरीबी, बेरोज़गारी, अशिक्षा, जनसँख्या वृद्धि और अन्य सामाजिक समस्याओं को बढाता है।