किसानों की उन्मुखीकरण को लेकर कार्यशाला का हुआ आयोजन
- नाबार्ड के डीडीएम ने कहा किसान उत्पादक संगठन से जुड़े किसान
- सीधी बिक्री प्रणाली के माध्यम से कृषि को बनाए फायदे का सौदा
गिरिडीह। डुमरी प्रखंड सभागार में शुक्रवार को पारसनाथ किसान उत्पादक कंपनी लिमिटेड के किसानों की उन्मुखीकरण कार्यशाला आयोजित की गई। जिसमें बैठक में डुमरी प्रखंड के विभिन्न ग्रामों के कुल 65 किसानों ने हिस्सा लिया। किसान उत्पादक कंपनी का गठन भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के द्वारा नाबार्ड के सहयोग से किया गया है। इसके लिए सीबीबीओ के रूप में अनगाड़िया सृजोनि शिक्षा निकेतन का चयन किया गया है। साथ ही स्वयं सेवी संस्था रुद्रा फाउंडेशन कार्य संपादित कर रही है। कार्यक्रम का आयोजन नाबार्ड के सहयोग से डुमरी प्रखंड के सभी पंचायतों में किया जा रहा है।
मौके पर बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स एवं किसानों को संबोधित करते हुए नाबार्ड के डीडीएम आशुतोष प्रकाश ने कहा कि कोई भी काम करना इतना आसान नही होता है लेकिन मन में इच्छा हो तो कोई भी काम मुश्किल भी नही होता है। कहा कि उनका सपना है कि गिरिडीह के किसान राष्ट्रीय स्तर पर प्रगति करें। किसान उत्पादक संगठन बनाकर और सीधी बिक्री प्रणाली अपनाकर किसान कृषि को फायदे का सौदा बना सकते हैं।

प्रखंड विकास पदाधिकारी डुमरी सोमनाथ बंकिरा ने बताया कि किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) के माध्यम से जहां किसान को अपनी पैदावार के सही दाम मिलते हैं, वहीं खरीदार को भी उचित कीमत पर वस्तु मिलती है। वहीं अगर अकेला उत्पादक अपनी पैदावार बेचने जाता है तो उसका मुनाफा बिचौलियों को मिलता है। श्री बंकिरा के मुताबिक किसान एफपीओ व कस्टमर हायर सेंटर के माध्यम से अलग-अलग कृषि उत्पादन पैदा करने वाले एक मंच पर साथ आकर ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं। एफपीओ सिस्टम में किसान को उसके उत्पाद के भाव अच्छे मिलते हैं, उत्पाद की बर्बादी कम होती है और अलग-अलग लोगों के अनुभवों का फायदा मिलता है।
रुद्रा फाउंडेशन के सचिव सैयद सबीह अशरफ ने बताया कि किसानों के फसल उत्पादों को बेहतर बाजार एवं उच्चतम मूल्य दिलाने के लिए फारमर्स प्रोड्यूसर ऑरगेनाइजेशन (एफपीओ) का गठन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि किसान उत्पादक संगठन एक पंजीकृत निकाय तथा विधिक संस्थान होगा। किसान इस संगठन में शेयर धारक होंगे। यह संगठन प्राथमिक पैदावार/उत्पाद से सम्बंधित कारोबारी गतिविधियों से संबंंिधत लेन देन करेगा। यह संगठन सदस्य उत्पादकों के लाभ के लिए काम करेगा और लाभ का कुछ भाग उत्पादकों के बीच परस्पर बाँटकर तथा शेष राशि शेयर पूंजी अथवा आरक्षित निधियों में जमा की जायेगी।