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पश्चिम बंगाल: वाममोर्चा व कांग्रेस अब्बास को गठबंधन में लाने की तैयारी में

कोलकाता। पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर नया सियासी तालमेल बनता दिख रहा है। चुनाव में वाममोर्चा व कांग्रेस पहले ही गठबंधन कर चुके हैं और 230 सीटों पर समझौता भी हो चुका है। लेकिन, मुस्लिम वोट कहीं बंट न जाए इसके लिए इस गठबंधन में हुगली के फुरफुरा शरीफ के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी को भी शामिल करने की रणनीति बनाई जा रही है और अब्बास भी वाम-कांग्रेस गठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़ने को राजी है।

वैसे इस मामले में पेंच बरकरार है। क्योंकि, सीटों के साथ-साथ ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी अब्बास के पीछे खड़े हंै और ओवैसी की शह पर पीरजादा ने अपनी इंडियन सेकुलर फ्रंट नाम से पार्टी बनाई है। इस बीच, अब्बास ने वाम-कांग्रेस नेतृत्व को पत्र लिखकर साफ कर दिया है कि यदि जल्द कोई निर्णय नहीं लिया गया तो वह अकेले ही चुनाव में उतरेंगे। इसके बाद वाममोर्चा चेयरमैन विमान बोस ने अब्बास सिद्दीकी और उनकी पार्टी के अध्यक्ष नौशाद सिद्दीकी को 16 फरवरी को बैठक के लिए बुलाया है। माना जा रहा है कि इस बैठक में सीट बंटवारे को लेकर चर्चा हो सकती है। अब्बास कांग्रेस के गढ़ रहे मुर्शिदाबाद और मालदा में अधिक सीटें चाहते हैं। क्योंकि, इन दोनों ही जिलों में मुस्लिम आबादी 65 फीसद से अधिक है।

दूसरी ओर कांग्रेस नहीं चाहती है कि उनके गढ़ में किसी और को सीट मिले। यही वजह रही है कि वाममोर्चा के साथ भी इन दोनों जिलों में सीट बंटवारे को लेकर पेंच फंसा है। ऐसे में अब्बास की एंट्री से कांग्रेस परेशान है। दूसरी ओर ओवैसी के साथ जाने से भी परेशानी है। अभी कुछ दिन पहले ही अब्बास ने माकपा कांग्रेस गठबंधन से सीट समझौते पर स्थिति स्पष्ट करने की मांग की थी। उन्होंने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर चौधरी और वाममोर्चा के अध्यक्ष बिमान बसु को एक पत्र लिखा था, जिसमें अब्बास गठबंधन के साथ हाथ मिलाने के लिए 40 सीटें मांगी थी। लेकिन वाममोर्चा उन्हें 20 से अधिक सीटें देने को तैयार नहीं है।

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