दो दो हत्याकांड के खुलासे में नाकाम रही मुफ्फसिल पुलिस के खिलाफ धरना
- भाजपा किसान मोर्चा समेत दो संगठनों ने धरना के माध्यम से पुलिस का जगाने की कोशीश
- किसान मोर्चा के नेताओ ने हेमंत सरकार और विधायक पर भी निकाला भड़ास
गिरिडीह। हत्याकांड और चोरी के मामले का खुलासा करने में नाकाम अब तक रही मुफ्फसिल थाना पुलिस के खिलाफ सोमवार को शहर में दो अलग-अलग स्थानों धरना दिया गया। पहला धरना भाजपा की ओर से टावर चौक पर दिया गया। किसान मोर्चा के धरने का नेतृत्व मोर्चा के जिला अध्यक्ष दिलीप वर्मा कर रहे थे। वहीं धरने में जिला अध्यक्ष महादेव दुबे के साथ पूर्व विधायक निर्भय शाहाबादी और प्रदेश कार्यसमिति सदस्य सुरेश साहू, विनय सिंह, जिला महामंत्री संदीप डंगाईच, सुभाष चंद्र सिन्हा, भाजपा नेत्री उषा कुमारी, पूर्व मेयर सुनील पासवान भी शामिल हुए। जबकि सरिता देवी को इंसाफ दिलाने के लिए भाजपा किसान मोर्चा के इस धरने में महिलाओ की तादाद सबसे अधिक रही।

धरना पर बैठे भाजपा किसान मोर्चा के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने इस दौरान हेमंत सरकार के साथ सदर विधायक सोनू के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। मोर्चा के जिला अध्यक्ष दिलीप वर्मा ने कहा की सवा महीने पहले मुफ्फसिल थाना इलाके के मैगजीनिया गांव में गोविंद वर्मा की पत्नी सरिता वर्मा की हत्या होती है और सवा महीने बाद भी मुफ्फसिल थाना की पुलिस हत्यारों तक पहुंच नही पा रही है। जाहिर है की जिस पुलिस के हाथ में विधि व्यस्था देखने की जिम्मेवारी है, उसे हेमंत सरकार ने वसूली के काम में लगाए हुए है और पुलिस को इसी वसूली के काम से फुरसत नहीं की वो सरिता देवी हत्याकांड के आरोपियों तक पहुंच सके। हेमंत सरकार और स्थानीय विधायक के इशारे पर पुलिस अपने सबसे महत्पूर्ण कार्य वसूली में लगी हुई है। वहीं दूसरी तरफ मृतक के पति गोविंद वर्मा उसका साला हर रोज थाने से सिर्फ भरोसा पा कर लौट रहा है।

वहीं दूसरी घटना गोलगप्पा दुकानदार के साथ बंदेरकुप्पी में हुआ था। चार दिन पहले हुए हत्याकांड में पुलिस के हाथ इस हत्याकांड में भी खाली है। दूसरी तरफ उसकी पत्नी और दो बच्चो का भरण पोषण करना सबसे मुश्किल हो चुका है। गोलगप्पा दुकानदार बासुदेव साहू हत्याकांड के खिलाफ राष्ट्रीय तेलिक साहू समाज के गिरिडीह इकाई ने बस स्टैंड में धरना दिया और गिरिडीह पुलिस के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। धरने में रामबाबू साहू, सीमा देवी, बबली देवी, जेडीयू जिला अध्यक्ष तिरभुवन दयाल के साथ साहू समाज के कई सदस्य शामिल हुए।