तृणमूल की त्रिकोण राजनीति में भाजपा की सेंध
टीएमसी के तीसरे खंभे मलय घटक के भाजपा में जाने की अटकलें/ एक मंत्री के करीबी लगातार भाजपा के संपर्क में/ दो खंभों (मुकुल राय व शुभेंदु अधिकारी) को खो चुकी है तृणमूल
कोलकाता। वर्ष 1998 में कांग्रेस से छिटक कर अलग पार्टी इंडियन तृणमूल कांग्रेस बना कर नये सिरे से राजनीति शुरू करने वाली ममता बनर्जी आज भीषण धर्मसंकट में फंस कर बिखरने के कगार पर आ गयी हैं। विद्वानों की कही एक बात कि (राजनीति शेर की सवारी है) जो हमेशा से बंगाल की राजनीति में सच साबित हुई है शायद अब इतिहास तृणमूल कांग्रेस के साथ भी इसी शेर की सवारी की कहानी दुहराने वाली है।
राजनीति के पंडितों की मानें तो त्रिकोण राजनीति के सहारे तृणमूल का सितारा बुलंद हुआ। आज इस त्रिकोण राजनीति के दो खंभे को भाजपा ने अपने पाले में कर लिया है। फिलहाल एक खंभे पर टिकी तृणमूल की राजनीति को बिखरने का डर सता रहा है। तृणमूल की त्रिकोण राजनीति के खंभे मुकुल राय, शुभेंदु अधिकारी व मलय घटक माने जाते हैं। इनमें से दो खंभे मुकुल राय और शुभेंदु अधिकारी को भाजपा ने अपने पक्ष में कर लिया है। अब बचे मलय घटक के भाजपा के संपर्क में रहने की बात उछल रही है।
मुकुल राय पहले ही भाजपा के हो चुके हैं। 15वीं लोकसभा में वर्ष 2012 में मुकुल राय को भाजपा ने रेल मंत्री भी बनाया था। तब से आज तक मुकुल राय भाजपा के साथ ही अपनी पारी खेल रहे हैं। एक मजबूत खंभा शुभेंदु अधिकारी जिन्होंने नंदीग्राम आंदोलन में तृणमूल को सहारा देकर खड़ा किया, वो भी 2020 के दिसंबर महीने में भाजपा के हो गये। अब एक मात्र खंभा अजीत मुखर्जी उर्फ मलय घटक तृणमूल के साथ वर्ष 1998 से आज तक खड़े हैं। उधर भाजपा के चाणक्य अमित शाह ने पिछले दौरे में मंच से कह दिया है कि एक और मंत्री भाजपा में आ सकते हैं।
इस बात ने राजनीति के विद्वानों की नींद उड़ा दी है। आज यही कहा जा रहा है कि जिस तरह राजनीति रूपी शेर की सवारी बंगाल में माकपा, कांग्रेस ने की क्या वही सवारी तृणमूल की भी होने वाली है? हालांकि अभी तक मलय घटक के बारे में कोई अंदाजा भी नहीं लगा सकता है कि वो भाजपा में जा सकते हैं। लेकिन अंदरूनी सूत्रों की मानें तो मंत्री मलय घटक के बेहद करीबी भाजपा के संपर्क में हैं। खबर तो यह भी राजनीति के गलियारे में है कि मंत्री के करीबी का बेहद अच्छा संबंध अमित शाह के पुत्र जय शाह के साथ है और वे लगातार उनके संपर्क में भी हैं। बंगाल की राजनीति में जय शाह का भी काफी योगदान देखने को मिल रहा है। क्योंकि सौरभ गांगुली का भाजपा में आने की खबर इसलिए फैली क्योंकि सौरभ गांगुली को जय शाह के साथ काफी बेहतर संबंध हैं। अमित शाह के बुलावे पर सौरभ गांगुली दिल्ली भी गये। ऐसे में आने वाला साल तृणमूल कांग्रेस के लिए कैसा होगा यह राजनीति रूपी शेर ही बता सकता है।