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बढ़ते संक्रमण के बीच गिरिडीह प्रशासन की लापरवाही लोगों में बना चर्चा का विषय, चालकों से जुर्माना वसूल कर किया जा रहा कोरम पूरा

ना तो स्वास्थ विभाग गंभीर और ना ही सरकारी तंत्र, नगर निगम से लेकर हर कार्यालय में दिख रही लापरवाही

शहर में 20 संक्रमित, कंटेनमेंट जोन एक भी नहीं, शनिवार को एक संक्रमित का हो चुका है मौत

गिरिडीहः
कोरोना के संक्रमण का खतरा गिरिडीह जिले में तेजी के साथ बढ़ रहा है। तो प्रशासन और स्वास्थ विभाग की लापरवाही भी उतनी ही नजर आ रही है। सख्ती करने की जिम्मेवारी जिन पर है फिलहाल वही सबसे अधिक लापरवाही कर रहे है। जबकि शनिवार को शहर के एक 32 वर्षीय युवक के कोरोना से रांची के मेदांता अस्पताल में मौत तक हो गई। इसके बाद भी सरकारी तंत्र और कार्यालयों में लापरवाही की बानगी का आलम है। ऐसा कोई विभाग नहीं, जहां लापरवाही नजर नहीं आ रहा हो। खास तौर पर गिरिडीह नगर निगम में ही। जबकि निगम के एक कर्मी पहले कोरोना संक्रमित हुए। तो निगम कार्यालय को सैनेटाईज तक नहीं किया गया। और अब हालात ऐसे है कि निगम कार्यालय में आने वाले बाबूओं से लेकर हर एक आम व्यक्ति के मुंह पर ना तो माॅस्क ही दिख रहा है। और ना ही कोरोना का कोई खौफ। लेकिन लापरवाही सिर्फ निगम तक सीमित नहीं है। बल्कि, समाहरणालय के अधीन कार्यरत कार्यालयों में भी लापरवाही बरती जा रही है। ऐसे में समझा जा सकता है कि जब सरकारी तंत्र और सरकार के अधीन चलने वाले कार्यालयों का हाल इतना खराब है तो आम लोगों पर सख्ती कौन करें।

पूरे शहरी क्षेत्र में ही कोरोना के 20 से अधिक मामले है। और नए मामलों में हर रोज इजाफा ही हो रहा है। लेकिन सख्ती कहीं कुछ भी नहीं। ना तो कंटेनमेंट जोन ही बनाएं जा रहे है। और ना ही इन कंटेनमेंट जोन इलाकों में आवागमन पर कोई रोक है। जाहिर है कि इसे संक्रमण की गति और तेज ही होगी। वैसे प्रशासन सख्ती के नाम पर वाहन चालकों से बगैर माॅस्क के नजर आने पर जुर्माना वसूल कर प्रशासन अपना कोरम पूरा करने के साथ राज्य सरकार के राजस्व को बढ़ाने में जरुर लगी हुई है। वह भी घंटे-दो घंटो के लिए जितने राजस्व एक बार में आ जाएं। इसके बाद सारी कार्रवाई बंद।

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