तनाव मुक्त शिविर देखने गिरिडीह पहुंचे अधिकारियों की टीम, सदर अस्पताल का हाल देख अधिकारियों ने जताई नाराजगी
गिरिडीहः
लंबे वक्त के बाद स्वास्थ मंत्रालय के अधिकारियों ने गिरिडीह सदर अस्पताल का निरीक्षण किया। रांची से आएं पांच अधिकारियों की टीम ने स्वास्थ मंत्रालय द्वारा संचालित तनाव मुक्ति शिविर की स्थिति से रुबरु हुए। तो वहीं दुसरी तरफ चैताडीह मातृत्व शिशु स्वास्थ केन्द्र के साथ सदर अस्पताल का हाल भी देखा। टीम में स्वास्थ मंत्रालय के अवर सचिव प्रभुनाथ शर्मा, जयकिशोर प्रसाद, डा. जॉन कैनेडी, औषधी निदेशालय की निदेशक रीतू सहाय और लोक स्वास्थ संस्थान के निदेशक राहुल सिंह भी शामिल थे। अधिकारियों के साथ डा. अशोक शर्मा समेत सदर अस्पताल के प्रबंधक भी मौजूद थे। लिहाजा, प्रबंधक को भी कड़ी फटकार लगी। पांचो अधिकारियों की टीम ने पहले तनाव मुक्ति शिविर का हाल देखा, और पूरी जानकारी ली। हालांकि सिविल सर्जन के नहीं रहने के कारण टीम को पूरा फीडबैक लेने में कई परेशानी हुई। लेकिन अधिकारियों ने तनाव मुक्ति शिविर को लेकर कई महत्पूर्ण निर्देश दिए। और कहा कि शिविर का संचालन लगातार होना है जिसमंे एक-एक व्यक्ति को तनाव से बाहर निकलने का टिप्स दिया जाना है। हालांकि शिविर में लोगों की भागीदारी बेहद कम ही दिखा। जिसे बेहतर करने का निर्देश टीम के अधिकारियों द्वारा दिया गया। इसके बाद टीम के अधिकारियों ने मातृत्व शिशु स्वास्थ केन्द्र के हालात से अवगत हुए, जहां गंदगी दिखा, तो कई प्रसूती के परिजनों ने बताया कि अब भी सहियाओं द्वारा पैसे के लालच में नर्सिंग होम में डिलीवरी कराया जाता है। इसके लिए सहियाओं ने शिशु स्वास्थ केन्द्र में दलाल लगा रखे है। जो किसी प्रसूती को परेशान देख उसे बेहतर इलाज कराने का झांसा देकर नर्सिंग होम पहुंचाते है। पूरी जानकारी मिलने पर टीम में शामिल अधिकारियों ने हैरानी व्यक्त किया। और कहा कि मातृत्व शिशु स्वास्थ केन्द्र का हाल तो बेहद खराब है। सही से मॉनिटरिंग नहीं होने के कारण ऐसे गड़बड़ी सामने आ रहे है।
इसके बाद अधिकारियों ने सदर अस्पताल का हाल देखा। एक-एक वार्ड पहुंचे, और मरीजों से जानकारी ली। वार्ड में गंदगी देख सफाई कार्य में लगे आउट सोर्सिंग एजेंसी के संचालक को फटकार लगाया और अस्पताल को दुरुस्त करने का निर्देश दिया। तो वार्ड के बॉथरुम का भी हाल अधिकारियों को खराब लगा। कई मरीजों ने भोजन के क्वालिटी पर सवाल उठाया। और कहा कि उन्हें जो मिलता है वो मजबूरी खा लेते है। जबकि ओपीडी में मरीजों के इलाज देख टीम में शामिल अधिकारियों ने संसाधन की जानकारी लिया। कुछ हद तक ओपीडी की सेवा टीम में शामिल अधिकारियों को बेहतर लगा। टीम में शामिल अधिकारियों ने इस दौरान दो घंटे तक मातृत्व शिशु स्वास्थ केन्द्र और सदर अस्पताल के हालात को देखा।