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महामारी कोरोना का साईड इफ्केट, पिछले एक साल में गिरिडीह के श्रम-नियोजन विभाग में 43 हजार बेरोजगारों ने जाॅब के लिए कराया रजिस्ट्रेशन

तो पिछले तीन सालों में मिला सिर्फ एक हजार आठ सौ को रोजगार

एक साल में चंद कंपनियों ने ही जाॅब देने के लिए किया विभाग से संपर्क

गिरिडीहः
महामारी कोरोना ने लाईफ स्टाईल को बदला है। तो प्राईवेट नौकरी के भी लाले पड़ गए। तभी तो गिरिडीह के श्रम-नियोजन और प्रशिक्षण विभाग में पिछले एक साल के भीतर 43 हजार तीन सौ से अधिक शिक्षित बेरोजगार युवकों ने प्राईवेट कंपनियों के अलग-अलग पदों की नौकरी के लिए अपना नाम रजिस्ट्रेशन कराया है। लेकिन काफी प्रतीक्षा के बाद भी अब तक रजिस्ट्रर्ड युवकों को प्लेसमेंट करने के लिए किसी कंपनी ने वैकेंसी नहीं निकाला। हालांकि श्रम नियोजन पदाधिकारी प्रत्युष शेखर की मानें तो रजिस्ट्रर्ड युवकों को नौकरी उपलब्ध कराने के लिए विभाग की और से कई कंपनियों को सूचना दिया गया है। लिहाजा, उम्मीद है कि जल्द ही कंपनियां विभाग से संपर्क कर सकती है। श्रम-नियोजन पदाधिकारी का यह भी कहना है कि कंपनियों के संपर्क किए जाने के बाद विभाग की और से श्रम कल्याण केन्द्र परिसर में रोजगार मेले के आयोजन के लिए राज्य सरकार से स्वीकृति मांगी जाएगी। क्योंकि श्रम-नियोजन प्रशिक्षण विभाग ने इस साल जूलाई तक 43 हजार तीन सौ से अधिक बेरोजगारांे का नाम निबंधित कर राज्य सरकार को भेज दिया है। अब राज्य सरकार से सहमति मिलने के बाद महामारी को देखते हुए रोजगार मेले का आयोजन किया जाएगा। उम्मीद है कि तब तक कई कंपनियां प्लेसमेंट के लिए सपंर्क भी कर लेगी।
वैसे श्रम नियोजन पदाधिकारी का यह भी कहना है कि बेरोजगारों का यह आंकड़ा चाौंकाने वाला जरुर है। लेकिन पहले भी विभाग के पास जाॅब की चाहत रखने वाले नाम रजिस्ट्रेशन कराते थे। यह अलग बात है कि महामारी के कारण रजिस्ट्रर्ड युवाओं का यह आंकड़ा काफी अधिक है। दरअसल, हर साल मेले का आयोजन कर बेरोजगारों को प्राईवेट नौकरी दिलाने का जिम्मा इसी श्रम-नियोजन विभाग पर ही है। गिरिडीह के टीएमटी फैक्ट्री सलूजा गोल्ड, लाल स्टील, अतिवीर स्टील, मोंगिया स्टील, शिवम ग्रुप और टफकाॅन स्टील जैसे नामचीन छड़ फैक्ट्री के अलावे टाटा मोटर्स, यूरेका फोब्र्स, वर्धमान यार्स कंपनी, बिहार की सेवा सिक्यूरिटी समेत कई कंपनियों में सुपरवाईजर, गार्ड, सहायक प्रबंधक, टेक्नीशियन जैसे पदों की भैकेंसी निकाल कर श्रम-नियोजन विभाग के जरिये बेरोजगारों की बहाली करती है। लेकिन पिछले एक साल के भीतर गिरिडीह की चंद फैक्ट्रियों को छोड़कर किसी कंपनी ने अब तक विभाग से संपर्क नहीं किया।
श्रम नियोजन विभाग से मिले आंकड़ो के अनुसार साल 2017-18 में श्रम नियोजना के माध्यम से इन कंपनियों में ही 1068 युवा, तो 12 युवतियों को जाॅब दिया गया। जबकि 2018-19 में ही 425 युवा और सिर्फ 3 युवतियों को उनके योग्यतानुसार जाॅब मिला। तो 2019-20 में ही 104 युवा और 14 युवतियों को जाॅब मिल पाया था। जबकि हर साल लगने वाले रोजगार मेले में रजिस्ट्रेशन कराने वाले आवेदक बेरोजगार युवक-युवतियों की भीड़ रहती है। लिहाजा, समझा जा सकता है कि महामारी के कारण हालात कैसे है।

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