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सम्मेद शिखर प्रकरण में मरांग बुरू संस्था के प्रतिनिधि ने की प्रेसवार्ता

  • कहा पारसनाथ पहाड़ मरांग बुरू के साथ ही 20 तीर्थकरों की भी है निर्वाण भूमि
  • सरकार नई अधिसूचना जारी कर पारसनाथ को मरांग बुरू का दें दर्जा

गिरिडीह। सम्मेद शिखर मुद्दा एक बार फिर गर्म होता दिख रहा है। क्योंकि गिरिडीह में मरांग बुरू सांवता सुसार बेशी के सदस्य सह भाजपा नेता सिकंदर हेंब्रम, मेरीनिशा हांसदा, बुधन हेंब्रम समेत कई ने मंगलवार को प्रेसवार्ता कर सदर विधायक सुदिव्य कुमार सोनू समेत राज्य सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा की आदिवासी समुदाय कभी नही कहता है की सम्मेद शिखर मधुबन सिर्फ आदिवासियों का है।

संथाली समुदाय भी मानते है की 20 तीर्थंकर ने इसी भूमि में निर्वाण प्राप्त किया था। लेकिन यह भी सच है की इसी सम्मेद शिखर पारसनाथ पहाड़ को मरांग बुरू के रूप में भी माना जाता है और यह आज से नही सदियों से इसकी परपंरा है। इतना ही नही इसी सम्मेद शिखर में आदिवासी समुदाय अपने परंपरा के अनुसार पूजा अर्चना और बली तक देते आए है। अब ऐसे में जैन समाज अगर आदिवासियों के पूजा में बाधा पैदा करता है तो ये उचित नही।

उन्होंने केन्द्र व राज्य सरकार से मांग करते हुए कहा कि मरांग बुरू का मानना है की केंद्र और राज्य सरकार तुरंत एक नई अधिसूचना जारी करे, जिसमें सम्मेद शिखर पारसनाथ को मरांग बुरू का दर्जा हासिल हो।

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