पारसनाथ को पर्यटन स्थल घोषित करने के सरकार के निर्णय का चहुंओर हो रहा विरोध
- जैन समाज का विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है श्री सम्मेद शिखर जी, भगवान पार्श्वनाथ सहित 20 तीर्थंकरो ने प्राप्त किया है मोक्ष
- पर्वत वंदना के लिए आए तीर्थ यात्रियों सहित जैन मुनी ने कहा पर्यटन स्थल घोषित होने से पवित्रता हो जायेगी समाप्त
- गुरुवार को गिरिडीह की सड़कों पर उतरेगा जैन समाज, सकल जैन समाज ने किया है अहवान
गिरिडीह। गिरिडीह जिले के मधुबन स्थित विश्व विख्यात जैनियों के प्रसिद्ध तीर्थस्थल व भगवान पार्श्वनाथ की मोक्ष की धरती श्री सम्मेद शिखर जी को पर्यटन स्थल के रूप में घोषित किये जाने के झारखंड सरकार के निर्णय का पूरे भारत वर्ष में विरोध हो रहा है। जैन समाज न सिर्फ सड़कों पर उतरकर शांतिपूर्ण तरीके से सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहे है बल्कि पर्वत वंदना करने के लिए आने वाले जैन तीर्थयात्रियों के साथ-साथ जैन मुनि भी सरकार के इस फैसले का विरोध करते हुए एक सुर में कह रहे है कि पारसनाथ पर्वत को पर्यटन स्थल के रूप में विकसीत करने के बजाय इसे धार्मिक स्थल के रूप में विकसीत किया जाना चाहिए।
गौरतलब है कि गिरिडीह मुख्यालय से महज 26 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मधुवन श्री सम्मेद शिखर जी में जैन समाज के 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ सहित 20 तीर्थंकरों ने मोक्ष प्राप्त किया है। जिनके दर्शन करने के लिए देश के विभिन्न राज्यों से ही नही बल्कि विश्व के कई हिस्सों से यहां तीर्थयात्री आते है। सरकार के इस फैसले के विरोध में सकल जैन समाज के द्वारा गुरुवार को गिरिडीह में भी विशाल मौन रैली निकालने की घोषणा की गई। जिसमें बड़ी संख्या में जैन समाज के लोग शामिल होंगे और श्री सम्मेद शिखर जी को पर्यटन स्थल घोषित नही करने की मांग करेंगे।
राजस्थान, महाराष्ट्र, दिल्ली सहित विभिन्न राज्यों से पर्वत वंदना के लिए आने वाले जैन तीर्थयात्रियों की माने तो पारसनाथ पर्वत तीर्थकरों की भूमि है। इस पर्वत के कण कण में भगवान बसे हुए है। तीर्थयात्रियों की माने तो अगर श्री सम्मेद शिखर जी को पर्यटन स्थल के रूप में विकसीत किया जाता है तो पर्यटकों की आगमण बढ़ जायेगा और यहां घूमने के लिए आने वाले लोग बिना किसी नियम के पर्वत का भ्रमण करेंगे। जिससे उनके तीर्थस्थल की पवित्रता समाप्त हो जायेगी। कहा कि वेलोग अर्धरात्रि को पर्वत वंदना करने के लिए निकलते है और सूर्य अस्त होने से पूर्व नीचे आ जाते है। इस दौरान वेलोग पूरी पवित्रता के साथ नंगे पांव पर्वत वंदना करते है।
- पूजा और वंदना का स्थल होता है तीर्थस्थल: प्रमाण सागर जी महाराज
इधर जैन मुनि श्री प्रमाण सागर जी महाराज से बात करने पर उन्होंने कहा कि श्री सम्मेद शिखर जी जैन समाज का सबसे बड़ा तीर्थस्थल है और यहां पर अंहिसा परमोधर्म के प्रचारक भगवान पार्श्वनाथ सहित 20 तीर्थंकरों ने मोक्ष की प्राप्ति की है। कहा कि यहां पर लोग भक्ति भावना से आते है। अगर इसे पर्यटन स्थल घोषित कर दिया गया तो लोग यहां घूमने फिरने और मौज मस्ती करने के लिए आने लगेंगे। जबकि तीर्थ स्थल मौज मस्ती करने की जगह नही होती बल्कि पूजा और वंदन करने की जगह होती है।
- करोड़ों जैन समुदाय के लोगों की भावनाओं को आहत करने वाला निर्णय: राजकुमार राज
इधर श्री सम्मेद शिखर जी के मामले को लेकर एक ओर जहां भाजपा और झामुमो आमने सामने हो गई है, और दोनों के बीच आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हो गया है। वहीं राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राजकुमार राज ने सम्मेद शिखरजी को झारखंड सरकार के द्वारा पर्यटन स्थल घोषित करने के निर्णय को बदलने की मांग करते हुए इसे तीर्थ स्थल के रूप में ही विकसित करने की मांग की है। श्री राज ने कहा है कि भारत एक बगीचा है जहां सभी तरह के फूल खिलते हैं और धार्मिक आस्थाओं के अनुसार जैनियों का यह विश्वस्तरीय तीर्थ स्थल है ऐसे में इसे पर्यटक स्थल घोषित करना करोड़ों जैन समुदाय के लोगों की भावनाओं को आहत करने वाला निर्णय है। उन्होंने राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं भारत सरकार के मंत्री पशुपति कुमार पारस को भी आग्रह करने के साथ ही भारत सरकार और राज्य सरकार पर पत्र लिखकर मामले से अवगत कराया है।
- पारसनाथ को धार्मिक तीर्थ स्थल घोषित करें राज्य सरकार: कृष्ण मुरारी शर्मा
वहीं आम आदमी पार्टी झारखंड के प्रदेश प्रवक्ता कृष्ण मुरारी शर्मा ने मंगलवार को मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मांग किया है कि सरकार शीघ्र पारसनाथ को धार्मिक तीर्थ स्थल घोषित करे। उन्होंने कहा है कि मधुबन में स्थित जैन धर्म के विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल पार्श्वनाथ मंदिर जैन धर्मावलंबियों का आस्था का केन्द्र है। ऐसे में श्री सम्मेद शिखरजी को सरकार द्वारा पर्यटन स्थल घोषित करने से पूरे विश्व के जैन समाज आहत हैं। इस क्षेत्र को पर्यटन स्थल घोषित करने से जैन समाज में काफी आक्रोश है और इसके खिलाफ पूरे देश में वे विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इसलिए जैन धर्मावलंबियों की मांँग पर सहानुभूति पूर्वक विचार करते हुए शीघ्र श्री सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल बनाने पर रोक लगे और शीघ्र इस पवित्र तीर्थ स्थल को धार्मिक तीर्थ स्थल घोषित किया जाए।