बंगाल में नारा शक्ति को प्रतिबिंबित करेगी मां दुर्गा की प्रतिमा
प्रवासी महिला मजदूर का रूप होगा मां की मूर्ति से नुमायां
कोलकाता। कोरोना काल में सबने प्रवासी मजदूरों की तकलीफें देखीं हैं। लॉकडाउन के समय प्रवासी महिला श्रमिकों को तपती धूप में गोद में अपने बच्चे को लिए पैदल सैकड़ों किलोमीटर का फासला तय कर घर लौटने की तस्वीरें भी सामने आयी थीं। ऐसी तसवीरें नारी शक्ति का एक रूप थी। कुछ तसवीरें बयां कर रही थी कि एक मां अपने बच्चे के लिए सबकुछ कर सकती है। इस बार देवी दुर्गा को एक जगह पर अब उसी रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। कोलकाता के बेहला इलाके में स्थित बड़िशा क्लब ने इसे थीम प्रतिमा के रूप में प्रस्तुत किया है।
देवी दुर्गा की गोद में कार्तिकेय रूपी बच्चे को दिखाया गया है। गौरतलब है कि लॉकडाउन के दौरान 1.5 करोड़ प्रवासी श्रमिक अपने घर लौटे थे। इनमें महिलाएं भी शामिल थीं। केंद्र सरकार के पिछले महीने जारी किए आंकड़ों के मुताबिक सबसे ज्यादा प्रवासी श्रमिक (32.7 लाख) उत्तर प्रदेश लौटे थे। बिहार इस मामले में 15 लाख के साथ दूसरे स्थान पर रहा। इस दौरान देश के विभिन्न हिस्सों से लाखों की तादाद में प्रवासी श्रमिक अपने गृह राज्य बंगाल भी लौटे थे। बड़िशा क्लब के एक अधिकारी ने बताया कि दुर्गा शक्ति की देवी है। हम अपनी प्रतिमा के माध्यम से शक्ति के एक और स्वरूप को दर्शाने की कोशिश कर रहे हैं, जो हमें लॉकडाउन के दौरान देखने को मिला था।