जिला समाज कल्याण पदाधिकारी ने स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के साथ की बैठक
- बाल विवाह को लेकर किया जागरूक, कहा 18 वर्ष के बाद ही हो युवतियों का विवाह
गिरिडीह। तिसरी पंचायत भवन में बाल विवाह पर रोकथाम को लेकर स्वयं सहायता समूह के दर्जनो महिलाओं के साथ जिला समाज कल्याण पदाधिकारी अलका हेम्ब्रोम ने बैठक कर कई बिंदुओं पर जानकारी दी। बैठक का आयोजन चाइल्ड लाइन के द्वारा किया गया था। जिसमें जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी श्यामा प्रसाद मौजूद थे। कार्यक्रम में अलका ने उपस्थित स्वयं सहायता समूह के महिलाओं को बताया कि बाल विवाह से बेटी मानसिक व शारीरिक रूप से कमजोर हो जाती है।
कहा कि बेटियों का विवाह अठारह वर्ष के बाद करने से ओर इसके बाद माँ बनने पर बहुत हद तक स्वास्थ्य ठीक रहता है। यदि अठारह वर्ष के पहले शादी हो जाती है तो स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। क्योंकि उम्र शादी योग्य नही होती है। महिलाये व लड़कियों को आयरन की गोली के साथ हरी सब्जियों का सेवन करना चाहिये। क्योंकि प्रत्येक माह मासिक धर्म के समय खून बर्बाद होती है। जिसके लिये खून बनने वाली पदार्थ को खाने से शरीर स्वस्थ व ताजगी बनी रहती है सहित कई बिंदुओं पर जानकारी दी गई।
जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी ने कहा कि बाल विवाह से बेटियों का शारीरिक विकास व पढ़ाई भी नही हो पाती है। ग्रामीण क्षेत्रो में बाल विवाह जानकारी के अभाव में होती है। जिसे रोकने के लिये स्वयं सहायता समूह की महिला का सहयोग जरूरी है। कही भी किसी गांव में बाल विवाह होती है तो 1098 में कॉल कर जानकारी दे और बाल विवाह को रोके। तभी समाज व गांव का विकास होगा।
कार्यकर्म में चाइल्ड लाइन टीम के अमर पाठक, जयराम प्रसाद, रंजन कुमार, गुंजा देवी, जेएसएलपीएस के राजेश सिंह सहित कई कार्यकर्ता मौजूद थे।