पति के दीर्घायु के लिए सुहागिनों ने की वटवृक्ष की परिक्रमा
कुलदीप
कोडरमा। विकास के इस डिजिटल युग में भी हमारी पौराणिक मान्यताएं आपसी प्रेम और प्यार की दास्तां बयां करती है। पति को देवता का दर्जा देने वाली सुहागिन महिलाएं गुरूवार की अहले सुबह वट वृक्ष के समीप पहुंचने लगी थी और यह सिलसिला अपराह्न तक जारी रहा। कई महिलाओं ने वट वृक्ष के पास पूरे विधि विधान के साथ कथा सुनते हुए पूजा अर्चना की वहीं कई महिलाएं घरों में ही कोविड-19 की वजह से पूजा अर्चना कर अपने पति की लंबी आयु की कामना की। मालूम हो कि 2020 में अखंड सुहाग का पर्व वट सावित्री पूजा पर संपूर्ण लॉकडाउन था ऐसे में महिलाएं कम संख्या में पहुंची थी। वहीं इस बार अनलॉक की प्रक्रिया के तहत महिलाएं बिना मास्क के ही पूजा अर्चना करते देखी गई। अखंड सुहाग की रक्षा के लिए सुहागिनों ने बरगद के पेड़ के समक्ष 108 चक्र परिक्रमा कर पेड़ में कच्चे धागे बांधती नजर आई और सातो जन्मो तक पति का साथ पाने की कामना करती रही।
स्वच्छ पर्यावरण के लिए महिलाओं ने लगाया पेड़
इस वर्ष महिलाओं ने वट वृक्ष की न केवल पूजा ही की बल्कि पौधारोपण कर भविष्य के लिए सांसो को संजीवनी रूपी उपहार भी दी। झुमरी तिलैया के ब्लॉक रोड स्थित शिव मंदिर में गौरी शंकर पांडे ने इस अवसर पर अपनी कथा में महिलाओं को कहा कि यह पर्व सती सावित्री और सत्यवान से जुड़ा है। इस दिन सावित्री ने अपने दृढ़ संकल्प और श्रद्धा से यमराज द्वारा अपने मृत पति सत्यवान के प्राण को वापस पाया था और उसी समय से यह पर्व भक्ति भाव के साथ मनाया जाता है। झुमरी तिलैया के सामंतो मंदिर, देवी मंडप रोड, पुराना बस स्टैंड, नवादा बस्ती, गांधी स्कूल रोड, गुमो, तिलैया बस्ती, इंदरवा बस्ती, विद्यापुरी आदि स्थलों पर महिलाएं सोलह सिंगार कर पहुंची। नए वस्त्र व मेहंदी लगाकर सुहागिनों ने एक दूसरे को सिंदूर भी लगाई और बड़ों से आशीर्वाद भी लिया। बताते चलें कि वट सावित्री पूजा जिले के अलग-अलग इलाकों में इस वर्ष 2 दिनों तक मनाई जा रही है। कई स्थलों पर बुधवार को भी वट वृक्ष की पूजा हुई। इस दौरान नवविवाहिता काफी उत्साहित नजर आई और पूजा अर्चना के बाद पंडितों को दान दक्षिणा दी। और पूजा अर्चना के साथ साथ अपने सोलह श्रृंगार की तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा की।