ढिबरा चुनने के क्रम में हुई बच्ची की मौत मामले में जांच को पहुंचे एसडीपीओ
- परिजनों से भी की मुलाकात, कार्रवाई का दिया आश्वासन
- वन भूमि के अंदर अवैध माइका उत्खनन संचालित होने के बाद भी चुप है अधिकारी
गिरिडीह। तिसरी माईका खदान में ढिबरा चुनने के दौरान मिट्टी धंसने से बिनोद यादव की 14 वर्षीय किशोरी कबिता कुमारी की मौत मामले की जांच कर गुरुवार को खोरीमहुआ अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी मुकेश कुमार महतो बरेगियातरी माईका खदान पहुंचे और घटना स्थल का निरीक्षण किया। घटना स्थल के बाद पालमो गांव पीड़ित परिवार पहुंच कर मृतक किशोरी के माता बेबी देवी, पिता बिनोद यादव और अन्य परिजनों से मुलाकात की।
उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि स्थल निरीक्षण में पाया की ब्रेगियातरी माईका का एक बहुत बड़ी माईका खदान है। जो वन भूमि के भीतर वर्षाे से संचालित प्रतीत होता है। स्थल पर मृत किशोरी कविता कुमारी का चप्पल और माईका रखने वाला टोकरी साक्ष्य के रूप में मिला है। इधर डीएसपी मुकेश महतो ने कहा कि खदान संचालक, माईका खरीददार जो भी इस मामले में आरोपी संलिप्त है उन सभी के विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्रवाई किया जायेगा। जल्द से जल्द आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए थाना प्रभारी पिकु प्रसाद को निर्देश दिया गया।
बताया जाता है कि आए दिन माइका खदान में दबकर दफन हो जाती है और इस घटना को माइका माफिया दबाने का काम करता है। माइका से जुड़े बड़े-बड़े व्यवसायी गरीब को 100 से 150 रुपए का लालच देकर बड़े-बड़े खदान के अंदर भेज दिया जाता है। इस बीच कुछ घटना घटती है तो अधिकतर माइका व्यावसायी खदान के अंदर ही मरने छोड़ देते है। अगर हल्ला हुआ और पत्रकारों को पता चला तो प्रशासन और खनन पदाधिकारी को मोटी रकम देकर मैनेज करने में जुट जाते है, लेकिन गरीब को कुछ भी मुआवजा नहीं मिलता है।
बात दे की जो दो दिन पूर्व बेरगियातरी खदान में जो घटना घटी है पूरा वन सीमा के अंदर आता है, लेकिन जब फॉरेस्टर से पूछा जाता है तो पल्ला झाड़ते हुए कहते है की ये वनसीमा के अंदर है की नही नापी के बाद पता चल सकता है। ये खदान वर्षाे से रोड के 400 मीटर के दूरी में चला आ रहा है। इससे साफ प्रतीत होता है कि कहीं न कहीं वन विभाग के मिलीभगत से ये खदान संचालित है। अब देखना है 14 वर्षीय बच्ची की दर्दनाक मौत के बाद वन विभाग आगे कार्यवाही कब तक करती है।