राजनीतिक का शिकार रहा गिरिडीह बरगंडा उसरी नदी के जर्जर पुल में एक बार फिर बनाया गया स्थायी बैरिकेटिंग
भाजपा नगर अध्यक्ष ने अपने सांसद के साथ सदर विधायक के कार्यप्रणाली पर बोला हमला
सत्तारुढ़ दलों के बीच चर्चा चुनावी माहौल के लिए पैंडिग रखा गया पुल निर्माण
गिरिडीहः
गिरिडीह के जीवन दायिनी उसरी नदी और शहर के बरगंडा में अवस्थित जर्जर पुल से शनिवार से आवागमन पूरी तरह ठप कर दिया गया। पुल के दोनों और स्थायी रुप से बैरिकेटिंग का निर्माण कर दिया गया। हालांकि स्थायी बैरिकेटिंग पहले से भी था, लेकिन आवागमन कर रहे लोगों द्वारा कुछ हिस्सा दोनों और तोड़ दिया गया था। लिहाजा, पिछले तीन सालों से इस पुराने पुल से आवागमन जारी था। दो पहिया वाहनों से लेकर टो-टो तक का आवागमन इस पुल से हो रहा था। इधर पुल के दोनों और स्थायी बैरिकेटिंग लगाने को लेकर भाजपा के नगर अध्यक्ष हरमिंदर सिंह बग्गा ने अपने ही एनडीए के सांसद चन्द्रप्रकाश चाौधरी और झामुमो के सदर विधायक सुदिव्य कुमार सोनू पर हमला करते हुए कहा कि दोनों ने सिर्फ जनप्रतिनिधी होने का सरकारी प्रमाण पत्र ले रखा है। लेकिन इस मामले में दोनों जनप्रतिनिधी अपने दायित्व को भूल चुके है। जबकि दशकों पुराना शहर का यह पुल आवागमन के लिए बेहद महत्पूर्ण है। वैसे भी शहरी क्षेत्र में आएं दिन जूलुस और धरना प्रदर्शन के साथ पुतला दहन करने वाले राजनीतिक दलों के आंदोलनकारी भी इस पुल निर्माण के प्रति गंभीर नहीं रहे।
दरअसल, बरगंडा के इस पुल को लेकर पिछले कई सालों से राजनीतिक हो रही है। पिछले पांच सालों से पुल निर्माण को लेकर कई बार टेंडर भी हुआ। लेकिन स्थानीय जनप्रतिनिधियों के बाद पथ प्रमंडल के सोतेले रवैये का शिकार इस पुल निर्माण को होना पड़ा है। यहां तक वर्तमान सदर विधायक सुदिव्य कुमार सोनू ने भी पुल निर्माण में गंभीरता कम और राजनीतिक करने में दिलचस्पी अधिक दिखाया। क्योंकि आनन-फानन में सदर विधायक सोनू ने पथ प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता को डांट-फटकार कर पिछले साल नवंबर माह में इस पुराने जर्जर पुल पर लगे शहरी पेयजलापूर्ति पाईप लाईन के राईजिंग पुल निर्माण कराया, और चार दिनों तक पेयजलापूर्ति ठप कर सौ मीटर के पाईप लाईन को शिफ्टिंग तक करा दिया। लिहाजा, लोगों में उम्मीद जगी कि अब संभवत इस पुल का निर्माण शुरु होगा। वैसे सत्तारुढ़ दल के नेताओं व कार्यकर्ताओं के बीच चर्चा इसी बात को लेकर है कि सदर विधायक ने इसके निर्माण का वक्त चुनावी माहौल के लिए निर्धारित कर रखा है। इस बीच 11 माह बीत चुके है। लेकिन प्रस्तावित पुल का निर्माण कार्य होना शुरु तो दूर पथ प्रमंडल ने पुराने टेंडर को ही रद्द कर दिया। टेंडर रद्द करने के पीछे प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता ने तर्क भी खूब दिया कि जिस एजेंसी ने टेंडर लिया था, उसके पास संसाधनों का अभाव था। बहरहाल, अब जब मानसून ने रफ्तार पकड़ा है तो दशकों पुराने इस पुल का एक पिल्लर पूरी तरह से जमींदोज हो चुका है।