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साइबर कैफे से पैसे की ठगी करने वाले शातिर अपराधी की करतूत ने गिरिडीह साइबर थाना को भी किया परेशान, पढ़े पूरी खबर

गिरिडीहः
गिरिडीह के साइबर थाना पुलिस ने शुक्रवार को एक शातिर साइबर अपराधी आशीष स्वर्णकार को गिरफ्तार कर जेल भेजा। इस शातिर साइबर अपराधी आशीष स्वर्णकार को नगर थाना के एसआई अशोक कुमार ने गिरफ्तार किया। और शुक्रवार को साइबर थाना पुलिस को सौंप दिया था। पुलिस ने इस आरोपी के पास से एक मोबाइल और एक धनश्री एप्प का डेबिट कार्ड समेत बैंक आॅफ इंडिया का डेबिट कार्ड बरामद किया है। गिरिडीह के साइबर अपराध के मामले में यह पहला मौका है जब कोई अपराधी साइबर ठगी के लिए साइबर कैफे को निशाना बनाएं हुए था। पुलिस के अनुसार इस अपराधी को शहर के बरगंडा रोड के पाॅवर हाउस मोड स्थित श्री श्याम साइबर कैफे से दबोच कर नगर थाना पुलिस ने साइबर थाना को सौंपा। पुलिस की मानंे तो आशीष स्वर्णकार रहने वाला तो बेंगाबाद थाना क्षेत्र के सोनबाद के गादी गांव का है। और यह अपने गांव के ही उमेश मंडल और उसके भाई रीतेश मंडल के साथ मिलकर पिछले कई महीनों पैसे ठगी का काम शहर के साइबर कैफे से कर रहा था।
इस शातिर अपराधी के करतूत का खुलासा तब हुआ। जब आशीष बीतें गुरुवार को पाॅवर हाॅउस के श्याम साइबर कैफै पहुंचा। और कैफे संचालक मनीष कुमार के समीप गिड़गिड़ाते हुए कहा कि उसकी एक रिश्तेदार शहर के नवजीवन नर्सिंग होम में भर्ती है। जिसके इलाज के लिए उसे पैसे की जरुरत है। वह अपने बैंक खाते से कैफे संचालक के खाते में पैसे ट्रांसर्फर कर रहा है। और कैफे संचालक उसे 15 हजार रुपया दे। जबकि अपराधी आशीष इसे पहले भी कैफे संचालक मनीष के खाते में पैसे भेजकर इलाज का बहाना बनाकर 32 हजार ठग चुका था। लेकिन इस बार उसे पैसे मिल पाते। इसे पहले ही मनीष ने आशीष को गिरफ्तार करा दिया।
क्योंकि कैफे संचालक मनीष के खाते को पहले ही बैंक आॅफ इंडिया लाॅक कर चुका था। कैफे संचालक को बैंक प्रबंधक ने बताया कि उनके खाते में उड़ीसा के किसी काॅलेज के प्राचार्य का पैसा आया है। जो अवैध है इसके बाद ही कैफे संचालक को संदेह हुआ। इसके बाद गुरुवार की शाम जब साइबर अपराधी आशीष स्वर्णकार उमेश मंडल के भाई रीतेश मंडल के साथ मनीष के कैफे पहुंचा। और मजबूरी बताकर पैसे की मांग किया। तो कैफे संचालक ने पिता को दुकान का शटर गिराने का इशारा किया। और जब शटर बंद हुआ। तो गिरोह के सरगना का भाई रीतेश वहां से फरार हो गया।


इस दौरान मनीष ने मामले की जानकारी नगर थाना पुलिस को दिया। अपराधी से पुलिस के पूछताछ में यह भी बात निकल कर सामने आया कि उमेश मंडल के साथ उसका भाई रीतेश मंडल ने आठ प्रतिशत की कमीशन का लालच देकर आशीष स्वर्णकार को अपने गिरोह में शामिल किया था। इतना ही नही पुलिस ने आशीष के जिस मोबाइल को जब्त किया है। उसका नंबर उमेश मंडल के बैंक खाते के पे फोन से लिंक था। जिसके सहारे आशीष कभी भी कहीं भी पैसे ट्रांसर्फर करा सकता था। यानि सिर्फ आशीष को किसी भी कैफे संचालक के बार कोड को स्कैन करना होता था। इसके बाद उस कैफे संचालक के खाते में उतना ही रकम ट्रांसर्फर होता जितना उमेश मंडल आशीष को निकालने के लिए कहता।

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