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एनएमओपीएस ने किया पेंशन चेतना यात्रा सह जिला अधिवेशन

  • आंकलन के नाम पर पेंशन की घोषणा में विलंब सही नहीं: मुन्ना कुशवाहा
  • सरकार के रवैये से कर्मचारियों में पनप रहा है असंतोष: अशोक सिंह

गिरिडीह। एनएमओपीएस झारखण्ड के आह्वान पर रविवार को गिरिडीह में पेंशन चेतना यात्रा सह जिला अधिवेशन का आयोजन किया गया। जिसमें सरकारी कर्मचारियों व पदाधिकारियों के करीब 16 संगठनों के प्रतिनिधियों और पेंशन विहीन साथियों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम का उद्घाटन अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। इस दौरान अतिथियों को बुके, शॉल और मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया।

एनएमओपीएस जिला संयोजक मुन्ना कुशवाहा ने अधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा कि चूँकि पुरानी पेंशन आज सरकारी कर्मचारियों के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण एवं प्राथमिक माँग है इसलिए इस मुद्दे नें आज सभी कर्मचारी संगठनों को एक मंच पर ले आया है। वर्तमान में पुरानी पेंशन का मुद्दा पूरे राष्ट्रीय पटल पर छाया हुआ है। कहा कि इसी मुद्दे के कारण ही आन्ध्र प्रदेश और झारखण्ड में सत्ता परिवर्तन हो चुका है, बावजूद वायदे के मुताबिक सरकार हमारे हक को लागू करने में विलंब कर रही है।

महासंघ के अशोक सिंह ने कहा कि एक सरकारी कर्मचारी औसतन 25-30 वर्ष तक सेवा में रहता है जबकी सरकारें पाँच वर्ष के लिये आती हैं। इन सरकारों के माननियों के पर्चा दाखिल करने से लेकर वोटिंग और उसके बाद मतगणना तक सरकारी कर्मचारी का अहम रोल होता है। पर अक्सर यह देखा जाता है की सत्ता के सपने देखने तक जो राजनेता कर्मचारियों के अपने सहोदर भाई से बढ़कर सुख-दुःख समझने की बात करते रहते हैं, वे सत्ता मिलते ही ब्यूरोक्रेसी के चपेट में आ जाते हैं। कहा कि झारखंड में सरकार गठन हुए काफी समय बीत चुका है पर अभी तक पुरानी पेंशन को अमली जामा नहीं पहनाया जा सका है जिससे कहीं न कहीं कर्मचारियों में असंतोष की स्थिति पनप रही है।

कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा अपनी सरकार के दो वर्ष पूरे होने के अवसर पर और झारखण्ड के शिष्टमंडल से हुई वार्ता के दौरान अपने घोषणा पत्र में प्रमुखता से शामिल किये गये पुरानी पेंशन बहाली के संकल्प में दृढ़ता का भरोसा तो ज़रुर दिया पर बजट सत्र के दौरान ओपीएस पर पूछे गये प्रश्न पर रुख स्पष्ट नज़र नहीं आया, जिससे कर्मचारी असमंजस की स्थिति में हैं। सरकार में शामिल कांग्रेस के नेता अगर इस मुद्दे पर समर्थन करते हुए दिखे तो उन्हीं के दल के कुछ वरिष्ठ नेताओं का रवैया इस मुद्दे पर नाकारात्मक है।

कहा कि कॉंग्रेस ने कर्मचारियों के मनोभाव को समझते हुए वर्तमान में कांग्रेस शासित दो राज्यों यथा राजस्थान और छत्तीसगढ़ ने तो चुनाव का बिगुल फुँके जाने से काफी पहले सदन के पटल पर दिये अपने बजटीय भाषण में पुरानी पेंशन बहाली की घोषणा तक कर दी है। राजस्थान में तो बकायदा इस पर औपचारिक कार्रवाई भी शुरु हो चुकी है। वहीं भाजपा शासित मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार को सत्ता और विपक्ष दोनों तरफ के तकरीबन 71 विधायकों द्वारा पुरानी पेंशन बहाली हेतु अपना निवेदन पत्र दिया गया है और सरकार भी अब सीधे मना न कर साकारात्मक रुप से इस मुद्दे में झाँक कर इसकी गहराई का अंदाज़ा लगा रही है।

मौके पर एनएमओपीएस झारखण्ड के कोषाध्यक्ष नितिन कुमार, जिला संयोजक मुन्ना प्रसाद कुशवाहा, रविकांत चौधरी, नौशाद शर्मा, देवेंद्र प्रसाद सिंह, अख्तर अंसारी, कुंवर लाल पहन, तेकलेश्वर महतो, कल्पना सिंह, विनोद राम, प्रियंका माथुर, संरक्षक घनश्याम गोस्वामी, इम्तियाज अंसारी, शमा परवीन, संजय कुमार महतो, भारत मांझी, विमलेंदु त्रिपाठी, संजीव कुमार, दीपक कुमार, विकास सिन्हा ने संबोधित करते हुए पुरानी पेंशन की बहाली सरकार से करने की मांग की। वहीं अधिवेशन का संचालन शिक्षक युगल किशोर पंडित और धन्यवाद ज्ञापन कोषाध्यक्ष रविकांत चौधरी ने किया।

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