एनएचआर सीसीबी ने पोबी में किया हिंदी की महत्ता पर परिचर्चा
- संवैधानिक स्तर पर हिन्दी को राष्ट्रभाषा का दर्जा नही दिया जाना राष्ट्र के साथ अन्याय
गिरिडीह। जमुआ प्रखण्ड के बैंक ऑफ इंडिया जमुआ सीएसपी प्रज्ञा केन्द्र पोबी परिसर में बुधवार को राष्ट्रीय हिन्दी दिवस के मौके पर बुधवार को राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं अपराध नियंत्रण ब्यूरो के द्वारा हिंदी भाषा की महता पर परिचर्चा का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं अपराध नियंत्रण ब्यूरो जिलाध्यक्ष कुमार पाण्डेय ने करते हुए कहा कि 14 सितंबर 1949 में हिंदी को राजभाषा का दर्जा प्राप्त हुआ। तभी से प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। कहा कि विश्व में तीसरे नम्बर की सबसे अधिक बोले जाने वाली भाषा हिंदी अभी तक राष्ट्रभाषा नहीं बन पाई है। हिंदी की लिपि देवनागरी है, साथ ही संस्कृत, मराठी, नेपाली की भी लिपि देवनागरी है। विश्व की सबसे वैज्ञानिक एवं समृद्ध लिपि देवनागरी है। संविधान के आठवीं अनुसूची में हिंदी सहित कुल 22 भाषाओं को राष्ट्रीय दर्जा प्राप्त है। कहा कि वर्तमान सरकार को राष्ट्रभाषा के लिए प्रयास करना चाहिए। राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाने खोया सम्मान व गौरव दिलाने के लिए व्यक्तिगत स्तर पर हर स्तर का प्रयास की आवश्यकता है।
हिंदी की महत्ता पर परिचर्चा में उत्कृष्ट विचार रखने वाले को मेडल देकर पुरस्कृत किया गया। मौके पर मनीष कुमार राम, करण सिन्हा, गौतम कुमार वर्मा, विकास गोस्वामी, रामचंद्र गोस्वामी, मुकेश राम, कार्तिक यादव, अंकित सोनी सहित अन्य मौजूद थे।