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झामुमो व आदिवासी छात्र संघ ने हूल दिवस पर किया कार्यक्रम का आयोजन

  • संथाली अधिकारों के लिए लड़ी गई लड़ाई थी सबसे बड़ी लड़ाई: विधायक

गिरिडीह। हुल दिवस के मौके पर झामुमो जिला कार्यालय, आदिवासी छात्र संगठन सहित कई संगठनों के द्वारा कार्यक्रम का आयोजन कर शहीद सिद्धू कान्हू को श्रद्धांजली दी गई। इस क्रम में झामुमो जिला कार्यालय में जहां सिद्धू कान्हू की तस्वीर पर माल्यार्पण किया गया। वहीं शहर के बस पड़ाव के समिप स्थित सिद्धू कान्हु पार्क में आदिवासी छात्र संगठन द्वारा हुल दिवस के मौके पर भव्य कार्यक्रम का आयोजन कर शहीदों का याद किया गया। कार्यक्रम में काफी संख्या में आदिवासी छात्र और युवा शामिल हुए। कार्यक्रम की शुरूआत बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित सदर विधायक सुदिव्य कुमार सोनू, झामुमो जिला अध्यक्ष संजय सिंह, झामुमो नेत्री हिंगामुनि, पूर्व विधायक ज्योतिंद्र प्रसाद, प्रमिला मेहरा और छात्र संगठन के नेताओं ने संयुक्त रूप से दीप जलाकर की। इस दौरान आदिवासी छात्राओं द्वारा संथाली लोकगीत पर नृत्य की प्रस्तुती की गई।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सदर विधायक ने कहा की देश भर में सन् 1857 की लड़ाई का महत्व दिया जाता है। लोग मानते है की 1857 की लड़ाई देश के लिए लड़ी गई थी। लेकिन एक सच यह भी है की संथाली अधिकारों के लिए जो लड़ाई लड़ी गई थी, वह लड़ाई सबसे बड़ी थी। क्योंकि जब संथाली अधिकारों के लिए लड़ाई हुई, उसे संथाल हूल का नाम दिया गया। जो संथालियो के जमीन और संपत्ति के अधिकारों के लिए हुआ था और इसी लड़ाई से संथालियों के जमीनों और संपति को जमींदारी प्रथा से मुक्त कराई गई। कहा की सीएनटी एसपीटी एक्ट इसी हुल क्रांति के जरिए वजूद में आया। जिसे संथालियों के अधिकार की रक्षा हो सके।

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