गावां प्रखंड में झोला छाप डॉक्टरों का बोलबाला, सरकारी अस्पताल फुस्स
- इलाज के नाम पर मरीजों से की जा रही है मोटी राशि की उगाही
गिरिडीह। जिले के गावां प्रखंड में सरकारी डाक्टरों व प्राथमिक स्वास्थ केंद्र की कमी के कारण इन दिनों झोला छाप डाक्टरों का बोल बाला काफी बढ़ गया है। इलाज के नाम पर मरीजों से मोटी राशि की उगाही की जा रही है। साथ ही साथ इसके आड़ में अवैध रूप से गर्भपात, ऑपरेशन आदि का भी कार्य किया जा रहा है।
बता दें कि गावां प्रखंड स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सिर्फ एक एमबीबीएस डाक्टर है जिसके भरोसे पूरा गावां प्रखंड मुख्यालय चल रहा है, जबकि गावां की कुल आबादी 2 लाख के लगभग है। गावां प्रखंड के पिहरा और माल्डा में दो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बनाए गए है मगर इनमे कोई भी चिकित्साकर्मी की नियुक्ति नही हुई है जिससे हमेशा यहां ताला लटका रहता है। वहीं अगर पूरे प्रखंड में उपस्वास्थ्य केंद्र की बात करें तो कुल 11 उपस्वास्थ्य केंद्र है जिनमे एएनएम व एमपीडब्ल्यू की नियुक्ति हुई है मगर क्षेत्र में डाटा कलेक्शन आदि कार्य होने से यहां भी लगभग जगहों पर ताला लटका रहता है।

बताते चलें कि लोगों को स्वास्थ्य सुविधा की कमी को देखते हुए बाहर से कई झोला छाप डॉक्टर अपना रुख गावां की ओर कर चुके हैं। जिससे पूरे क्षेत्र में अभी सैकड़ों झोला छाप डॉक्टर व क्लीनिक खुल गया है और ये दोनों हाथों से मरीजों को लूटने एवं अधूरे ज्ञान के साथ ऑपरेशन करके उनका जान लेने का कार्य कर रहे हैं। अगर हम सिर्फ गावां, माल्डा और पीहरा की बात करें तो गावां में लगभग आधे दर्जन से अधिक अवैध क्लिनिक संचालित हैं। वहीं माल्डा और पीहरा मिलाकर दो दर्जन से अधिक अवैध क्लिनिक संचालित हैं। इसके अलावा जमडार, खरसान, डेवटन, पटना, बगदेडीह, मंझने, बिरने सहित कई इलाकों में कई झोलाछाप डाक्टर अपने क्लिनिक खोल कर एवं मरीजों के घर जाकर उन्हे इलाज के नाम पर लूटने का कार्य कर रहे हैं। हालांकि इनमें से कई डाक्टर ऐसे हैं जो सिर्फ लोगों को सेवा देने का कार्य करते हैं मगर यह कहना बिल्कुल गलत नही होगा कि अधिकांश डॉक्टर गैरकानूनी तरीके से इसे सिर्फ कमाई का जरिया बना रखे हैं।
नाम नही छपने की स्थिति में कई लोगों ने बताया कि मालडा नीम चौक में स्थित क्लिनिक में गर्भपात कराया जाता है। वहीं गावां, पटना और मंझने में भी इस तरह की बातों को लेकर ग्रामीणों के बीच चर्चा है।
आखिर में यह कहना बिल्कुल गलत नही होगा कि गावां में सरकारी स्वास्थ्य सुविधा की कमी के कारण कई लोगों को झोला छाप डॉक्टरों से इलाज करवाना पड़ रहा है और इस दौरान न सिर्फ उन्हे खुले हाथों से लूटा जा रहा है बल्कि अधूरी जानकारी के ऑपरेशन कर उन्हे मौत के घाट भी उतार दिया जा रहा है। अगर ग्रामीणों की माने तो सरकार स्वास्थ्य सुविधा प्रखंड में मजबूत कर दें तो फिर उन्हे झोलाछाप डॉक्टरों के चक्कर नही लगाने पड़ेंगे।