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गिरिडीह में सरहुल पर निकला भव्य शोभा यात्रा, मांदर की थाप पर महिलाओं समेत युवतियों ने किया पांरपरिक नृत्य

दो सालों बाद सरहुल को लेकर जिले में दिखा उत्साह

गिरिडीहः
महामारी के बीच दो सालों बाद सोमवार को गिरिडीह की सड़कों में आदिवासी महिलाएं और युवतियां पांरपरिक रुप से नृत्य करती नजर आई। युवाओं की टोली एक तरफ मांदर बजाते चले रहे थे, तो दुसरी तरफ महिलाएं और युवतियां संथाली नृत्य करती। मौका था आदिवासी समुदाय द्वारा मनाया जाने वाला प्राकृतिक और टेसू फूल की उपासना का पर्व सरहुल का। प्राकृतिक के इस महापर्व सरहुल का मुख्य आयोजन गिरिडीह आदिवासी छात्र संघ द्वारा शहर के बस पड़ाव स्थित मांझी हड़ाम पूजन स्थल में किया गया था। जहां डीसी नमन प्रियेश लकड़ा के साथ मुखिया सिकंदर हेम्ब्रम, भाजपा नेता नुनूलाल मंराडी, जद्यू नेता त्रिभुवन दयाल समेत छात्र संघ के कई सदस्य पूजा में शामिल हुए।

संथाली समाज के पुजारी ने पूरे विधी-विधान के साथ टेसू फूल का सबसे पहले पूजा किया गया। तो प्राकृतिक का भी आह्वान पुजारी समेत संथाली समाज के श्रद्धालुओं ने किया। इसके बाद पूजन स्थल में पक्षियों की बलि दी गई। पूजन के मौके पर ही काफी संख्या में आदिवासी समाज के युवाओं के साथ महिलाएं और युवतियां पांरपरिक वेशभूषा में मौजूद थी।


मांझी हड़ाम में पूजा-अर्चना के बाद छात्र संघ की और से शहर में मांदर के थाप के बीच सरहुल का शोभा यात्रा निकाला गया। शोभा यात्रा की निगरानी और सुरक्षा में नगर थाना प्रभारी रामनारायण चाौधरी पुलिस जवानों के साथ मुस्तैद दिखे। बस पड़ाव स्थित मांझी हड़ाम से निकले सरहुल शोभा यात्रा के दौरान महिलाएं और युवतियां मौके पर पांरपरिक नृत्य करते चल रही थी। तो युवाओं की टोली के साथ भाजपा नेता नुनूलाल मंराडी भी पूरे उत्साह के साथ मांदर बजाते दिखें। कमोवेश, सरहुल के शोभा यात्रा को लेकर छात्र संघ के सदस्यों के साथ एक-एक आदिवासी महिलाएं और युवतियों में उत्साह दिखा। संथाली नृत्य करते शोभा यात्रा मांझी हड़ाम पहुंच कर समाप्त हुआ।

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