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बिना नोटिस दिये ही बेंगाबाद में दलित परिवार को किया बेघर

अतिक्रमण के नाम पर वन विभाग ने घर को तोड़ा

गिरिडीह। हेमंत सरकार के कार्यकाल में भी अधिकारियों का मनोबल बढ़ा हुआ है। इसकी बानगी गुरुवार को गिरिडीह के बेंगाबाद के कोकरची गांव में देखने को मिली। जहां अतिक्रमण बता कर एक दलित परिवार के घर को वन विभाग के पदाधिकारियों ने बगैर सोचे समझे बेघर कर दिया। जानकारी के अनुसार बेंगाबाद रेंजर कार्यलय ने भुक्तभोगी परिवार को बिना कोई नोटिस दिये गुरुवार की सुबह सीधे उन लोगों के घर पहुंच गए और अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरु कर दी। वन विभाग के कार्रवाई के बाद भुक्तभोगी परिवार अब खुले आस्मान के नीचे रहने को मजबूर है। जिला प्रशासन घटना के बाद जहां खामोश है। वही वन विभाग के बेंगाबाद रेंजर अनिल कुमार का दावा है कि जिस जगह से अतिक्रमण हटाया गया है। वह पूरी तरह से अतिक्रिमित था।


1987 में अनुमंडल पदाधिकारी ने दो डिसमिल जमीन दिया था भूदान

बताया जाता है कि गरीब परिवार को साल 1987 में ही अनुमंडल पदाधिकारी ने दो डिसमिल जमीन भूदान के रूप में दिया था।। भूदान में मिले दान के बाद से दलित परिवार इस पर मकान बनाकर रह रहा था। वन विभाग के कार्रवाई के बाद पीड़ित परिवार ने डीसी और डीएफओ को आवेदन देकर मामले की जांच कर दोषी वन विभाग के पदाधिकारियों पर कार्रवाई का मांग किया है। घर टूटने के बाद भुक्तभोगी बेनी तुरी ने आरोप लगाते हुए कहा की अगर घर अतिक्रमण कर बनाया गया था। तो पहले उन लोगों को नोटिस दिया जाता। लेकिन बगेर नोटिस के ही कार्रवाई किया गया। बताया कि कार्रवाई के दौरान वन विभाग को जमीन के कागजात भी दिखाया जा रहा था। लेकिन रेंजर से लेकर किसी पदाधिकारी ने उनकी एक नहीं सुनी।

दो माह पूर्व ही बनाया था घर

इधर पीड़ित परिवार ने बताया कि ढोल आदि बजाकर उनका गुजारा होता है। भूमिहीन होने के कारण वे लोग झुग्गी झोंपड़ी में जीवन यापन करते थे। भूदान पर मिले जमीन के बाद उसका सीमांकन किया गया था। इसका आदेश तत्कालीन सीओ ने भी दिया था। जानकारी के अनुसार दो तीन माह पहले बेनी तुरी ने काफी प्रयास के बाद ईंट का मकान बनाकर रहना शुरू किया था।

नहीं दिखाया गया कोई कागजात- रेंजर

इधर भुक्तभोगी परिवार के आरोपो को मानने से इनकार करते हुए रेंजर अनिल कुमार का दावा है कि करवाई के वक्त कागजात मांगा गया था। लेकिन किसी ने कोई कागजात नही दिया।

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