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तसर और रेशम किसानों के लिए गिरिडीह सहायक उद्योग निदेशक ने किया कार्यशाला का आयोजन

गिरिडीहः
हस्तशिल्प और रेशम निदेशालय गिरिडीह ने शुक्रवार को शहर के विवाह भवन में तसर और रेशम उत्पादन किसानों के बीच कार्यशाला का आयोजन किया। एक दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन सहायक उद्योग निदेशक रेशम रावणेशवर मिश्रा और जिला कोषागार पदाधिकारी आत्म चैत्नय ने संयुक्त रुप से दीप जलाकर किया। कार्यशाला में करीब आठ रेशम और तसर उत्पादन किसानों के बीच माइक्रोस्कोप का वितरण किया गया। तो मौके पर इन किसानों के बीच तसर और रेशम उत्पादन कीट भी बांटा गया। प्रमंडलीय स्तर पर हुए कार्यशाला में गिरिडीह समेत देवघर और धनबाद के सौ से अधिक किसानों ने हिस्सा लिया। वहीं कार्यशाला में सहायक उद्योग रेशम की और से कई पोस्टर भी लगाएं गए थे। जिनमें किसानों द्वारा आत्मनिर्भरता को लेकर किए जा रहे तसर और रेशम की खेती की प्रर्दशनी दर्शायी गई। इस दौरान कार्यशाला को संबोधित करते हुए सहायक उद्योग रेशम रावणेशवर मिश्रा ने कहा कि राज्य सरकार ने रेशम और तसर की खेती को बढ़ावा दिया। जिसे जिले में करीब साढ़े सात हजार से अधिक किसान हर साल 40 हजार का आय खुद का कर रहे है। साढ़े सात हजार से अधिक किसानों द्वारा किए जा रहे तसर और रेशम की खेती के कारण राज्य में खादी के कपड़ों का डिमांड भी बढ़ा है। इसमें और अब वृद्धि लाना है।

सहायक उद्योग निदेशक रेशम ने इस दौरान यह भी कहा कि जिले के डुमरी और बेंगाबाद अग्र परियोजना में हर साल दस मिट्रिक टन रेशम और तसर का उत्पादन किया जा रहा है। इसे निश्चित तौर पर किसानों का आय जिले में बढ़ा है। मौके पर जिला कोषागार पदाधिकारी आत्मचैतन चाौधरी ने कहा कि सरकार के इस योजना का मकसद इसे जुड़े किसानों के आय को बढ़ाना है। साथ ही खादी को भी विकसित करना भी है।

फिलहाल हस्तशिल्प और रेशम उद्योग निदेशालय को आने वाले हर फंड को प्राथमिकता से कोषागार से विमुक्त किया जाता है। जिसे जिले मंे तसर और रेशम के उत्पादन में कोई समस्या नहीं हो। इधर कार्यशाला में विभागीय वैज्ञानिक डा. पी. सिल्वन रेड्डी समेत कई मौजूद थे।

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