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एसएसभीएम में आयोजित चार दिवसीय प्रांतीय प्रधानाचार्य सम्मेलन की हुई शुरूआत

  • सम्मेलन में शामिल हुए झारखंड प्रांत के 250 प्रधानाचार्य
  • वर्तमान सत्र की समीक्षा और आगामी सत्र की योजना करेंगे तैयार

गिरिडीह। विद्या विकास समिति के तत्वाधान में सरस्वती शिशु विद्या मंदिर में आयोजित चार दिवसीय प्रांतीय प्रधानाचार्य सम्मेलन की शुरूआत रविवार को की गई। सम्मेलन का उद्घाटन अखिल भारतीय संस्थान विद्या भारती मंत्री डॉ किशन वीर सिंह शाक्य, क्षेत्रीय संगठन मंत्री ख्याली राम, उत्तर पूर्व क्षेत्र के क्षेत्रीय सचिव नकुल कुमार शर्मा, उपाध्यक्ष डॉ सतीश्वर प्रसाद सिन्हा, विद्या विकास समिति के समिति के अध्यक्ष संजय राजगढ़िया व प्रदेश सचिव अजय कुमार तिवारी ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। इस दौरान प्राचार्य शिव कुमार चौधरी ने अतिथियों का परिचय कराते हुए उनका स्वागत शॉल भेंट कर किया।

सम्मेलन को संबोधित करते हुए अतिथियों ने कहा कि 4 दिनों तक चलने वाले इस सम्मेलन में झारखंड प्रांत के 250 प्रधानाचार्य मिल बैठकर वर्तमान सत्र की समीक्षा और आगामी सत्र की योजना तैयार करेंगे। इस दौरान शिशु मंदिर के संस्थापकों द्वारा जिस निमित्त विद्यालय प्रारंभ किया गया है उसके मानक पर खरा उतर रहे है या नही तथा वह अपने राष्ट्र को गौरव पर ले जा सकेंगे सहित विन्दुओं चर्चा करने के साथ ही समीक्षा की जायेगी। कहा कि आचार्य नई शिक्षण तकनीक से अपने आपको तैयार रखें। नई शिक्षा नीति के अनुसार सर्वांगीण विकास पर बल दिया जाएगा।

कहा कि अगर माइंड सेट ठीक नहीं हो तो लक्ष्य और व्यवस्था फैल हो जाती है। कार्य ही हमारी सफलता है। इसी भाव को लेकर विभिन्न विद्यालयों के प्रधानाचार्य यहां एकत्र हुए हैं। विद्या भारती के विद्यालय के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भारत केंद्रित शिक्षा के पद्धति को अपनाने पर बल दिया गया है। पूर्व छात्र विद्वत जन आदि द्वारा 3 महीनों तक विद्यालय में शिक्षण का कार्य करें ताकि इनके अनुभवों का लाभ बच्चों को मिल सके। प्रत्येक विद्यालय के लिए महावीर स्वामी द्वारा कहीं गई श्रुत ज्ञान, मति ज्ञान, इंद्रिय ज्ञान, समय ज्ञान आदि का पालन करें तो निश्चित ही भारत पुनः वैभव को प्राप्त कर सकेगा।

मौके पर ओम प्रकाश सिन्हा, नीरज लाल, सुरेश मंडल, तुलसी प्रसाद ठाकुर, फनींद्र नाथ, विवेक नयन पांडेय, रमेश कुमार यादव, पूर्णकालिक एवं स्थानीय समिति के पदाधिकारी उपस्थित थे।

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