क्या सुधरे शहर की ट्रैफिक व्यवस्था, जब सुधारने के बजाय खुद बिगाड़ने में लगा है गिरिडीह का यातायात थाना
दो मालवाहक वाहन गलती से घुसे नौ इंट्री जोन में, थाना के सामने सड़क किनारे लगाकर चालकों से होने लगी बात
विभाग के मिलते संरक्षण के कारण अक्सर ऐसे कारनामें कर चर्चा में रह चुके है यातायात प्रभारी
गिरिडीहः
यातायात व्यवस्था को सुधारने के लिए कई प्रयास हो चुके है। यही नही गिरिडीह में यातायात थाना खुले हुए दो साल का वक्त बीत चुका है। लेकिन हालात देख कर यही कहना सही होगा कि अब ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने के बजाय यातायात थाना खुद बिगाड़ने में लगा हुआ है। क्योंकि मंगलवार को दुसरे जिले के दो मालवाहक वाहन गलती से शहर के मधुबन वेजिस के समीप नो इंट्री में घुस गए। नो इंट्री में घुसे इन वाहनों की जानकारी ट्रैफिक जवानों ने यातायात प्रभारी को दिया। इस दौरान यातायात प्रभारी ने जवानों को दोनों वाहनों को मकतपुर चाौक स्थित यातायात थाना ले जाने का निर्देश देते हुए खुद पहुंचने की बात कही। थाना प्रभारी के निर्देश पर जवानों ने दोनों मालवाहक वाहनों को थाना के बाहर घंटो खड़ा कर दिया। दोनों वाहनों के खड़ा किए जाने के कारण थाना के सामने का रोड हर 20-20 मिनट के बाद जाम में फंसता रहा। स्थिति यह हो गई कि वाहन के चालकों ने भी अपने वाहनों को वही खड़ा कर छोड़ दिया। सड़क किनारे लगे होने के कारण रह-रह कर लग रहे सड़क जाम को पुलिस जवान भी देख रहे थे। लेकिन दोनों वाहनों को हटाकर सड़क जाम हटाने के बजाय दोनों जवान यातायात प्रभारी से फोन पर नया निर्देश मिलने के प्रतीक्षा में लग गए।
इस बीच काफी देर बाद जब यातायात थाना प्रभारी अपने वाहन से वहां पहुंचे। तो वे भी जाम क्लियर कराने के बजाय चालकों से बात करने लगे। हालांकि दोनों चालकों से थाना प्रभारी किस तरह की बात किए। यह तो स्पस्ट नहीं हुआ। लेकिन कई बार यातायात थाना से लेकर जिला पर्षद कार्यालय चाौक तक सड़क जाम लगता रहा। इसके बाद भी प्रभारी से लेकर जवानों को सड़क जाम से कोई मतलब नहीं रहा। लिहाजा, शहर के यातायात व्यवस्था का हालात देखकर अगर यह कहा जाएं कि गिरिडीह का यातायात थाना ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने के बजाय खुद बिगाड़ने में लगा है। तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। फिर चाहे सुधारने के नाम पर बिगाड़ने में लगे यातायात थाना प्रभारी के कार्यसंस्कृति को संरक्षण उनका विभाग ही क्यों ना दें। वैसे भी यातायात थाना प्रभारी का यह कोई नया कारनामा नहीं। बल्कि, अपने विभागीय संरक्षण के कारण ही यातायात थाना प्रभारी अक्सर ऐसे कारनामों को कर खूब चर्चा में रहते है। लेकिन परिणाम शहर के लोगों को ही भुगतना पड़ता है। इधर इस मामले में जब थाना प्रभारी का पक्ष जानने का प्रयास किया गया, तो उनका नंबर नाॅट रिचेबल ही आता रहा।