गिरिडीह कोर्ट में लगे राष्ट्रीय लोक अदालत में 11 सौ 55 मामलों का निष्पादन, तो तीन करोड़ 43 लाख का राजस्व हासिल
बेवजह के मुकदमों से निपटने का सुलभ रास्ता है लोक अदालतः जस्टिस अपरेश सिंह
गिरिडीहः
शनिवार को गिरिडीह न्यायलय में आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत का उद्घाटन हाई कोर्ट के जस्टिस अपरेश सिंह और गिरिडीह की प्रधान जिला एंव सत्र न्यायधीश वीणा मिश्रा ने दीप जलाकर की। हालांकि व्यवहार न्यायलय में आयोजित लोक अदालत में कोरोना का कोई खौफ नहीं दिखा। लंबित केसों को निपटाने के लिए जितने बेचों का गठन किया गया था। उसमें वन विभाग और उत्पाद विभाग के बेंच में सबसे अधिक रही। विभागीय कर्मियों के साथ वादी बगैर नियमों का पालन करते हुए अपने-अपने मामलों को सुलझाने में लगे थे। न्यायलय परिसर में आयोजित लोक अदालत के दौरान कई वादियों के लंबित मामलों का निष्पादन किया गया। तो सड़क हादसे में मारे गए आश्रित के परिजनों के बीच जस्टिस और प्रधान जिला एंव सत्र न्यायधीश ने 14 लाख 17 हजार के चेक का भुगतान विभिन्न दावेदारों के बीच किया। कोरोना काल में लंबे वक्त के बाद लगे लोक अदालत मौके पर जस्टिस अपरेश सिंह ने कहा कि कोरोना महामारी के बीच इस लोक अदालत के आयोजन का मकसद बेवजह के केसों का निष्पादन करना है। क्योंकि कुछ मुकदमों में अनावश्यक लोग फंसने के बाद सिर्फ परेशान होते है।
इधर जिला विधिक सेवा प्राधिकार के निर्देश पर आयोजन स्थल में नौ पीठों का गठन किया गया था। इसमें उत्पाद विभाग, बैंक वाद, माप-तौल विभाग, वन विभाग, बिजली विभाग और वाहन दूर्घटना क्लेम वाद समेत अन्य पीठ शामिल थे। राष्ट्रीय स्तर पर लगे लोक अदालत में इन विभागों से जुड़े एक हजार एक सौ 55 मामलों का निष्पादन हुआ। इसमें प्री-लिटीगेशन के 566 तो 589 लंबित मामले शामिल थे। इन मामलों के निष्पादन से कई विभागों को तीन करोड़ 43 लाख और 94 हजार का राजस्व हासिल हुआ। वहीं लोक अदालत को सफल बनाने में विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव संदीप कुमार बर्तम समेत कई न्यायिक पदाधिकारियों की भूमिका रही।