पेयजल समस्या से जुझने को मजबूर है तिसरी का कोशिलवा आदिवासी बहुल गांव
- संवेदक की लापरवाही के कारण नही मिल पा रहा है मनरेगा कूप का लाभ
- खेत में चुवां खोदकर दूषित जल पीने को मजबूर है ग्रामीण
गिरिडीह। तिसरी प्रखंड मुख्यालय से महज तीन किमी दूर कोशिलावा आदिवासी बहुल गांव में रहने वाले वर्षाे से पेयजल समस्या से जूझ रहे है। पीने के पानी और खाना बनाने आदि जरूरत की पूर्ति के लिए गांव के समीप खेत में चुवाँ खोदकर पानी की व्यवस्था करने को मजबूर है। जिससे दूषित पानी निकलता है। जबकि संवेदक के लापरवाही के कारण लाखों की लागत से गांव में लगी जल नल योजना का लाभ नही ले पा रहे है।
बता दें की कोशिलवा गांव में लगभग पचास घर है जिसमे ढाई सौ से तीन सौ आदिवासी जाति के लोग निवास करते है। गांव में सरकारी कूप चापाकाल है सभी गर्मी के दिनो में सुख जाते है। मनरेगा कूप का निर्माण हुआ है, लेकिन पानी नही है। ग्रामीणों को खेत किनारे चुवां से गंदा पानी पीने को विवश है। पानी को कपड़ा से छान कर ग्रामीण पीने के लिए उपयोग करते है। सुबह तीन बजे से ही ग्रामीणों की कतार पानी लेने के लिए लग जाती है। जिसके कारण चुवां में जल श्रोत कम हो जाने पर पानी जमा होने तक इंतजार करते है।
गांव के निर्मल हेंब्रम सहित अन्य ग्रामीणों ने कहा कि गांव में जल नल योजना लगाया गया है, लेकिन पानी नही निकलता है। दो तीन दिन में एक दो बाल्टी पानी निकलता है। चापाकल का बोरिंग में पाइप कम डाला गया है। यदि दो पाइप और डाल दिया जाए तो शायद पानी सभी के घर तक पहुंच जाती। बताया की गांव में पानी की किल्लत को दूर करने की मांग को लेकर ग्रामीणों ने तिसरी बीडीओ को पूर्व में आवेदन भी दिया था। जिसके बाद जल नल योजना से पानी टंकी लगाया गया, लेकिन संवेदक की लापरवाही के कारण वह भी बेकार साबित हो रहा है।