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सदर विधायक से मिला एप्टा के प्रतिनिधि मंडल, समस्याओं से कराया अवगत

  • कोविड-19 प्रोटोकॉल व पचास प्रतिशत क्षमता के साथ की कोचिंग संस्थान खोलने की मांग
  • डेढ़ वर्ष से कोचिंग सेंटर बंद होने से संचालकों की स्थिति दयनीय: राजेश सिन्हा

गिरिडीह। एप्टा गिरिडीह (ऑल प्राइवेट ट्यूटोरियल्स एसोशिएशन ऑफ गिरिडीह) का एक प्रतिनिधिमंडल सोमवार को सदर विधायक सुदिव्य कुमार सोनू से मुलाकात की और उन्हें अपनी समस्याओं से अवगत कराया। प्रतिनिधिमंडल में शामिल एप्टा के अध्यक्ष राजेश सिन्हा, उपाध्यक्ष नागेंद्र सिंह, सचिव अधिवक्ता सूरज नयन, संयुक्त सचिव आलोक मिश्रा, मिंटू कुमार , अनिल चक्रम, मीडिया प्रभारी प्रणव मिश्रा, प्रीति भास्कर, रविन्द्र विद्यार्थी सहित कई कोचिंग सेंटर के संचालक शामिल थे।

मौके पर प्रतिनिधि मंडल ने विधायक को ज्ञापन सौंपते हुए जिले के तमाम कोचिंग सेंटर को कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन कराते हुए पचास प्रतिशत क्षमता के साथ खोलने का आग्रह किया। जिसपर विधायक ने कोचिंग सेंटर को शुरू करने के सम्बंध में एप्टा शिष्टमंडल को आश्वासन दिया और अपनी ओर से यथासंभव प्रयास करने की बात कही।

इस दौरान अध्यक्ष राजेश सिन्हा ने कहा की लगभग डेढ़ वर्ष से कोचिंग सेंटर बंद हैं। इसपर पूरी तरह निर्भर कोचिंग संचालको के समक्ष बड़ी विकट परिस्थिती बनी हुई है। कुछ कोचिंग संचालकों ने तो परिस्थिति से हार मानकर अपना व्यवसाय ही बदल दिया है। सरकार को अविलंब इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। इसी प्रकार प्राइवेट स्कूल टीचर भी परेशान है उसपर सरकार को नजर दौड़ानी चाहिए और तत्काल कोई ठोस निर्णय लेना चाहिए। कोचिंग वाले प्रोटोकॉल को मानकर पहल करें सकारात्मक बात के बाद, जो भी नियम नहीं मानेंगे उनको एप्टा सचेत करेगा।

उपाध्यक्ष नागेंद्र सिंह ने कहा कि अब बहुत हो गया, सब्र का बांध अब टूटने की स्थिति में है। शिक्षक धैर्य की पराकाष्ठा कर रहे हैं लेकिन अब धैर्य रखना संभव नहीं। सरकार को वैसे कोचिंग संस्थान खोलने की अनुमति देनी चाहिए जिसमें 18़ से ऊपर वाले विद्यार्थी पढ़ने जाते हैं क्योंकि सभी वैक्सीनेट हो रहे हैं। सैकड़ो परिवार कोचिंग सेंटर पर टिका हुआ है, सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए।

संस्था के सचिव अधिवक्ता सूरज नयन ने कहा कि सरकार को इस ओर अविलंब ध्यान देना चाहिए। जहाँ होटल, पार्क, जिम, सिनेमाघर, मॉल आदि खोलने की अनुमति दे दी गयी है, वहीं कोचिंग सेंटर को बंद रखा गया है। जबकि कोचिंग सेंटर बंद रहने से बच्चों का शैक्षणिक भविष्य अधर में लटका हुआ है। सरकार को 50 प्रतिशत छात्रों की उपस्थिति व वैक्सिनेटेड बच्चों के साथ कोचिंग सेंटर खोलने की अनुमति देनी चाहिए।

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