अक्षय नवमी के अवसर पर आँवला और सीताफल वृक्ष का विधिवत् हुआ पूजन
जैव विविधता संरक्षण, संवर्द्धन से ही पृथ्वी का अस्तित्व सुरक्षित: योगेश पाण्डेय
गिरिडीह। राष्ट्र में सुख, शांति, समृद्धि, सद्भावना के उद्देश्य से जमुआ प्रखण्ड के ग्राम पंचायत पोबी में अक्षय नवमी के पावन अवसर पर आँवला और सीताफल वृक्ष का विधि विधान के साथ पूजा अर्चना की गई। जैव विविधता प्रबंधन समिति प्रखण्ड सचिव योगेश कुमार पाण्डेय ने कहा कि सनातन धर्म, संस्कृति जैव विविधता, प्राकृतिक संरक्षण को बढ़ावा देता है अध्यात्म, विज्ञान का समिश्रण है। जैव विविधता संरक्षण, संवर्द्धन से ही पृथ्वी में मानव सहित अन्य सभी प्रकार के जीव, जंतु, पक्षी, वनस्पतियों का अस्तित्व सुरक्षित रहेगा। इसलिए प्रत्येक मानव को न्यूनतम पाँच पौधारोपण करने की आदत डालनी चाहिए।
कार्तिक मास के शुक्लपक्ष में जो नवमी आती है, उसे अक्षयनवमी कहते हैं। उस दिन पीपलवृक्ष की जड़ के समीप देवताओं, ऋषियों तथा पितरों का विधिपूर्वक तर्पण करें और सूर्यदेवता को अर्घ्य दे। तत्पश्च्यात ब्राह्मणों, जरूरतमंदों को मिष्ठान्न भोजन कराकर उन्हें दक्षिणा दे और स्वयं भोजन करें। इस प्रकार जो भक्तिपूर्वक अक्षय नवमी को जप, दान, ब्राह्मण पूजन और होम करता है, उसका वह सब कुछ अक्षय होता है, ऐसा ब्रह्माजी का कथन है। कार्तिक शुक्ल नवमी को दिया हुआ दान अक्षय होता है अतः इसको अक्षयनवमी कहते हैं।