गिरिडीह में सरकारी योजनाओं को लेने में ठेकेदार तोड़ रहे सारी मर्यादा, प्रशासन भी हुआ परेशान, छोड़ा ठेकेदारों को उनके हाल पर
ठेका लेने के लिए ही ठेकेदार एक-दुसरे को अपशब्द और मारपीट करने से नहीं कर रहे परहेज
गिरिडीहः
कोरोना काल में हेमंत सरकार के कार्यकाल में विकास योजनाएं जहां धीमी गति से चल रही है। तो इन योजनाओं को लेने के लिए गिरिडीह में ठेकेदार अब सारी मर्यादा तोड़ते जा रहे है। हालात ये हो चुका है कि छोटे-छोटे योजनाओं को लेने के लिए ठेकेदार आपस में मारपीट और अपशब्दों की बौछार तक एक-दुसरे पर करने से बाज नहीं आ रहे। तो दुसरी तरफ ठेकेदारों के रवैये से परेशान स्थानीय प्रशासन भी ठेकेदारों के आपसी विवाद का मजा खूब उठा रहा। बुधवार को ही इसकी बानगी भी देखने को मिला। जब लघु सिंचाई विभाग में 15 करोड़ 25 लाख के लागत से पूरे जिले में 20 तालाब का निर्माण कार्य होना है। राज्य संपोषित योजना मद से होने वाले तालाब निर्माण का टेंडर बुधवार को होना था। टेंडर डालने का वक्त दोपहर तीन बजे तक ही था। लेकिन सत्तारुढ़ राजनीतिक दल से जुड़े कुछ ठेकेदारों की लांबिग इस दौरान लघु सिंचाई विभाग के अधिकारियों के साथ ऐसा रहा कि आपसी विवाद के बीच टेंडर डालने का अंतिम वक्त साढ़े तीन बजे तक का करा लिया।
लेकिन इसे पहले लघु सिंचाई विभाग में हालात जो दिखे। वो बेहद शर्मसार करने वाला रहा। क्योंकि टेंडर में गिरिडीह समेत हजारीबाग और दुमका के ठेकेदार भी शामिल हुए। तो सूबे के एक मंत्री के बेहद करीबी भी इस टेंडर में अपना लांबिग और टेंडर मैनेज तक कराने के लिए लघु सिंचाई विभाग के कार्यालय तक पहुंच गए। वैसे दो घंटे तक इस कार्यालय के बाहर हंगामा होता रहा। सारी मर्यादा तोड़कर ठेकेदार आपस में उलझ पड़े। यहां तक कि एक-दुसरे को अपशब्द बोलने से भी परहेज नहीं किया। हालांकि हालात संभालने के लिए नगर थाना की पुलिस तो वहां मौजूद थी।
लेकिन ठेकेदार इस कदर बेकाबू हो चुके थे, कि पुलिस को उन्हें संभालने में नाको चने चबाना पड़ा। एक तरफ योजनाओं को मैनेज करने की बात। तो दुसरी तरफ दोपहर तीन बजते ही टेंडर पेपर डालने का वक्त जब शुरु हुआ। तो ठेकेदार आपस में उलझ पड़े। इस दौरान खूब धक्का-मुक्की भी हुई। यही नही विभाग के कार्यपालक अभियंता के खिड़की से कई ठेकेदार अपना पेपर फेंक कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में लगे रहे। तो दुसरे गुट के कुछ ठेकेदार पेपर फेंकने वाले का हाथ पकड़ बाहर खींच रहे थे। लेकिन कार्यपालक अभियंता चन्द्रशेखर कुमार ने ठेकेदारों के इस रवैये पर आपति तक नहीं जताया।