सीटीओ की वैद्यता खत्म होने से गिरिडीह के ओपेनकाॅस्ट खदान में उत्पाद ठप, तो कोयले की चोरी
जिले के दुसरा खदान से भी कोयला उत्पादन बंद, ट्रक मालिक, मजदूर और खदान कर्मी हुए प्रभावित
पार्टियों की राजनीतिक भी ओपेनकाॅस्ट को वक्त रहते नहीं दिला पाई सीटीओ
सारे दस्तावेज देने के बाद भी पर्यावरण समिति से नहीं मिला सीटीओ
गिरिडीहः
कोयला मंत्रालय के गिरिडीह स्थित ओपेनकाॅस्ट कोयला खदान में संरक्षकों के संरक्षण के कारण कोयले की चोरी तो नहीं रुकी। लेकिन खदान से कोयले का लीगल उत्पादन जरुर बंद हो गया। लोकल सेल के मालवाहक वाहन देने वालों से लेकर खदान के कर्मियों और मजदूर यूनियन के नेताओं को जो भय सता रहा था। आखिकार हुआ भी वही। क्योंकि 31 दिसबंर को खदान के सीटीओ खत्म की तिथि तय थी। सीटीओ की तिथि खत्म होने के साथ ही एक जनवरी से खदान से कोयले का उत्पादन भी ठप हो गया था। लिहाजा, सीसीएल के बनियाडीह समेत आसपास के इलाके के लोग सीटीओ का डेट खत्म होने से प्रभावित हुए। इनमें बड़े पैमाने पर ट्रक मालिक भी शामिल है। सीटीओ की वेलीडिटी तिथि खत्म होने के बाद ओपेनकाॅस्ट खदान से एक बार फिर उत्पादन का लक्ष्य पूरा होने पर होने ग्रहण लग चुका है। क्योंकि वित्तीय साल 2021-20 में उत्पादन का लक्ष्य एक लाख चालीस हजार टन है। तो अब तक सिर्फ 65 हजार टन का ही उत्पादन हो पाया है। जबकि वित्तीय साल खत्म होने में अब सिर्फ दो माह बाद वक्त शेष रह गया है।
वैसे करीब डेढ़ सालों से कबरीबाद कोयला खदान का भी यही हाल है। क्योंकि डेढ़ साल पहले इस खदान का भी सीटीओ की तिथि खत्म होने के बाद खदान से लीगल तौर पर उत्पादन तो बंद है। लेकिन इस खदान में अब भी बड़े पैमाने पर तस्करों द्वारा कोयले की चोरी जारी है। सीसीएल की राजनीतिक करने वाले कमोवेश, हर मजदूर यूनियन के नेता लगातार इस दिशा में प्रयासरत है कि ओपेनकाॅस्ट खदान का सीटीओ मिल जाएं। और एक बार फिर लोगों को रोजगार मिल सकें। इसके लिए मजदूर यूनियन के नेताओं में भारतीय मजदूर संघ के प्रमोद सिंह, झाकोमयू के तेज लाल मंडल समेत अन्य मजदूर यूनियन के नेता इस दिशा में प्रयासरत है।
लेकिन जानकारों की मानें तो सीटीओ को रिन्अुल कराने के लिए ही गिरिडीह परियोजना कार्यालय की और से हर दस्तावेज राज्य सरकार के पर्यावरण संरक्षण समिति को उपलब्ध करा दिया गया। लेकिन समिति की और से अब तक सीटीओ को रिन्अुल करने की स्वीकृति नहीं मिली। इसकी पुष्टि परियोजना पदाधिकारी विनोद कुमार ने भी किया है। पीओ का कहना है कि अब जब तक सीटीओ की स्वीकृति नहीं मिलती। तब तक ओपेनकाॅस्ट खदान से उत्पादन ठप ही रहेगा। बहरहाल, चाौथे स्थान पर कोयला नगरी की पहचान बनाएं गिरिडीह पर लगा ग्रहण खत्म होगा, या नहीं। यह तो भविष्य के गर्भ में है। फिलहाल इस खदान से लीगल उत्पादन ठप है तो कोयले की चोरी जारी।