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बच्चों को कराइए योग, छूट जाएगी मोबाइल की लत: स्मृति

  • पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव से रिश्तों में आई है संकीर्णता

कोडरमा। अधिक समय तक मोबाइल देखने से बच्चे के व्यवहार में चिड़चिड़ापन, जिद और गुस्सा आदि के लक्षण आ सकते हैं। साथ ही उसमें अकेले रहने की भी आदत हो सकती है। ऐसे लक्षण दिखने पर निराश न हो बल्कि समझाकर उनकी गतिविधियों को बदलने का प्रयास करें। उनकी दिनचर्या में योग को शामिल कराएं। इससे न सिर्फ मोबाइल देखने की लत छूटेगी बल्कि उसका मन-मस्तिष्क भी स्वस्थ होगा। एकाग्रता, गुस्सा, जिद्दीपन और एकाकीपन दूर होगा और बच्चा सामान्य व्यवहार करने लगेगा। यह जानकारी योग प्रशिक्षक स्मृति वर्मा ने बातचीत में दी। वह बच्चों को सूर्य नमस्कार, शीर्षासन, वृक्षासन, ताड़ासन, भ्रामरी और प्रणव का अभ्यास कराने की सलाह देती है।

योगासन लाएंगे बदलाव

उन्होंने बताया कि एक-दो आवृत्ति सूर्य नमस्कार करना चाहिए। ऐसा करने से शरीर में आक्सीजन का प्रवाह बढ़ जाता है। मस्तिष्क में ताजगी बनी रहती है। गुस्सा नियंत्रित होता है। वहीं शीर्षासन आसन करने से रक्त प्रवाह बढ़ता है। सोचने, समझने की क्षमता बढ़ती है। बौद्धिक क्षमता बढ़ती है। भ्रामरी आसन इसमें तीन बार मुंह बंद करके ओम का जाप किया जाता है। इसका अभ्यास करने से पीयूष ग्रंथि (मास्टर ग्लैंड) सक्रिय हो जाती है। इससे शारीरिक-मानसिक विकास होता है और मन एकाग्र होता है। वृक्षासन को ध्रुव आसन भी कहते हैं। इसका नियमित अभ्यास करने से ध्यान केंद्रित होता है, जिससे मानसिक एकाग्रता बढ़ती है। इससे चिड़चिड़ापन और उदासी भी दूर होती है। प्रणव आसन में मुंह खोलकर तीन बार ओम का उच्चारण किया जाता है। यह मानसिक शांति, एकाग्रता और स्मरण शक्ति बढ़ाने में कारगर है।

कहा कि बच्चों का एकाकीपन दूर करने के लिए समूह में योग कराना चाहिए। इससे उनमें समाज से जुड़ने की लालसा पैदा होगी और व्यवहार व स्वभाव में भी सुधार आएगा। कहा कि पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव से रिश्तों में संकीर्णता आई है। रिश्ते मॉम-डैड और अंकल अंटी में सिमट गए हैं। इससे बच्चे बुआ, चाची, मामी, मौसी और पड़ोसी महिलाओं को आंटी और पुरुषों को फूफा, चाची, मामा, मौसा पड़ोसियों को अंकल का संबोधन देते हैं। यह संस्कृति व रिश्तों को कमजोर बनाते हैं। बच्चों को सभी रिश्तों के संबंध में विस्तार से समझाना चाहिए। बच्चों के लिए अलग-अलग कमरे न घोषित करें। इससे उनमें एकाकीपन बढ़ता है। परिवार के सभी सदस्य एक साथ भोजन करें। इससे अपनेपन का भाव बढ़ेगा।

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