सम्मेद शिखर मधुबन में हुआ चार्तुमास कलश स्थापना, कई महानगरों से पहुंचे भक्त
- मुनि श्री प्रमाण सागर ने कहा हर व्यक्ति को होना चाहिए कंस्ट्रटिव और कैलेकुलेटिव
गिरिडीह। जैन समाज के विश्व प्रसिद्ध तीर्थस्थल और गिरिडीह के सम्मेद शिखर मधुबन में चार्तुमास कलश स्थापना कार्यक्रम गुणायतन ट्रस्ट के सभागार में रविवार को हुआ। दिगंबर जैन समाज के इस भव्य और बड़े आयोजन में शामिल होने देश के कई राज्यों से श्रद्धालुओं का जुटान हुआ है। रविवार को ही मुनि श्री 108 प्रमाण सागर जी महाराज सानिध्य में जैन मुनि निर्वेसागर जी महाराज, मुनि श्री शीतल सागर जी महाराज ने णमोकांर मंत्र के बीच अनुष्ठान शुरु किया। सभागार में ही भव्य मंच का निर्माण किया गया था। जिसमें मुनि प्रमाण सागर जी महाराज के साथ शीतल सागर जी महाराज, निर्वेग सागर जी महाराज और क्षुल्लक सागर जी महाराज विराजमान हुए।

इस दौरान अलग-अलग राज्यों से आएं जैन श्रद्धालुओं समेत गुणायतन ट्रस्ट के महामंत्री अशोक जैन पांड्या, बेंकाब से आएं निकुंज जी मेहता, गुजरात के अतुल और शीतल लधानी के साथ अमेरिका के विजय और मंजू और कोलकाता के रमेश सरावगी और सतीश सरावगी समेत कई श्रद्धालुओं ने पहले मंच पर विराजमान जैन मुनियों का पाद परछालन कर उनका आशीर्वाद लिया। मौके पर चार्तुमास कलश के लिए कई जैन भक्तों ने अपने नाम ट्रस्ट में अंकित कराया। वहीं इस दौरान गुणायतन ट्रस्ट समेत अन्य जैन श्रद्धालुओं ने शास्त्र समेत भगवान पार्श्वनाथ का प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया।
इधर चार्तुमास के आयोजन को लेकर मुनि श्री 108 प्रमाण सागर जी महाराज ने मौजूद जैन भक्तों के बीच हर काम में सफलता के लिए पहले कंस्ट्रक्टिव, क्रिएटिव, ऑपरेटिव और कैलकुलेटिव बनना चाहिए। ये चार गुण ही हर व्यक्ति को उनके सफलता तक पहुंचाता है। और मंजिल हासिल करने की प्रेरणा देता है। मुनि श्री निर्वेग सागर जी महाराज ने कहा कि हर व्यक्ति को संयमित होना चाहिए। संयम से युक्त व्यक्ति हीरे के समान होता है। मौके पर मुनियों ने मौजूद जैन भक्तों को मिट्टी और कंकर का उदाहरण देते हुए जीवन के कई गूढ़ बातों से अवगत कराया। जबकि चार्तुमास कलश कार्यक्रम को लेकर कोलकाता के विजय सरावगी, गुवाहाटी के सुरेन्द्र और प्रीति जजन, यूपी के कन्नोज से आर के चमन समेत काफी संख्या में जैन समाज के श्रद्धालु शामिल हुए थे।