भारत छोड़ो आंदोलन तथा विश्व आदिवासी दिवस पर भाकपा माले ने दिया धरना
- मोदी सरकार पर लगाया आदिवासियों का हक छीनने का आरोप
- सरकार के खिलाफ आंदोलन को तेज करने का लिया निर्णय
गिरिडीह। भारत छोड़ो आंदोलन तथा अंतरराष्ट्रीय जनजातीय दिवस के मौके पर बुधवार को अखिल भारतीय किसान महासभा तथा भाकपा माले की ओर से गिरिडीह में एक दिवसीय धरना का आयोजन किया गया। धरना के माध्यम से केंद्र सरकार की आदिवासी और किसान विरोधी नीतियों का विरोध करते हुए संघर्ष का संकल्प लिया गया।
धरना को संबोधित करते हुए भाकपा माले के राज्य कमेटी सदस्य एवं अखिल भारतीय किसान महासभा के प्रदेश उपाध्यक्ष राजेश यादव, माले के गिरिडीह विधानसभा प्रभारी राजेश सिन्हा, पूर्व जिप सदस्य मनोवर हसन बंटी ने कहा कि, लोग जब देश की आजादी के लिए लड़ रहे थे तो कुछ लोग उस समय भी अंग्रेजों के साथ खड़े थे। कहा कि, आज की सरकार आदिवासियों के पारंपरिक अधिकारों को भी छीन लेना चाहती है। उन्हें जल, जंगल, जमीन से वंचित करने की साजिश हो रही है। वहीं देश की सार्वजनिक संपत्तियों को भी कॉरपोरेट कंपनियों के हवाले कर सरकार ने अपनी मंशा जाहिर कर दी है। कहा कि आम जनता की मूलभूत समस्याएं सरकार की प्राथमिकता से बाहर हो चुकी हैं। देश के युवाओं को ठगा गया है, किसानों-मजदूरों के साथ छल किया गया है। हक-अधिकार के लिए लड़ने वालों पर झूठे मुकदमे और दमन का सहारा लिया जा रहा है। जिसके खिलाफ आगामी 14 अगस्त को भाकपा माले समूचे देश में संविधान और लोकतंत्र बचाने के लिए मार्च का आयोजन करेगी।
धरना में मुख्य रूप से मेहताब अली मिर्जा, रामलाल मुर्मू, मनोज कुमार यादव, रामलाल मंडल, उज्जवल साव, सुनील राय, नौशाद अहमद चांद, नौशाद आलम, सुकर बास्की, रिंकू यादव, मोहम्मद इकराम, संजय चौधरी, पंकज वर्मा, रोहित यादव, जय नारायण सिंह, चंद्रिका दास, शंभु तुरी, शफीक अंसारी, सहित अन्य मौजूद थे।